गोरखपुर। मुकद्दस रमजान का दसवां रोजा व पहला अशरा रहमत का अल्लाह की रज़ा में बीता। रोजेदारों ने रोजा, नमाज, तिलावत, तस्बीह, खैरात व जकात के जरिए अल्लाह को राजी करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। तहज्जुद, इशराक, चाश्त, सलातुल अव्वाबीन, सलातुल तस्बीह की नमाज कसरत से पढ़ी। दस दिन तक अल्लाह की रहमत खास तौर पर मुसलमानों पर बराबर बरसी। नेकियों व रोजी (कमाई) में वृद्धि हुई। वहीं रविवार की शाम से रमज़ान का दूसरा अशरा मगफिरत का शुरु हो गया। रोजेदारों की पूरी कोशिश रहेगी कि वह खूब इबादत कर अल्लाह से मगफिरत तलब करें। करीब चौदह घंटा का रोजा लोगों के सब्र का इम्तिहान ले रहा है।
तीस दिनों तक चलने वाले इस मुकद्दस रमज़ान को तीन हिस्सों में बांटा गया है। रमज़ान का पहला अशरा रहमत, दूसरा मगफिरत, तीसरा जहन्नम से आजादी का है। मालूम हुआ कि ये महीना रहमत, मगफिरत और जहन्नम से आजादी का महीना है। लिहाजा इस रहमत, मगफिरत और जहन्नम से आजादी के इनाम की खुशी में हमें ईद मनाने का मौका मिलेगा।
हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो, मस्जिद क़ादरिया असुरन पोखरा, लाल जामा मस्जिद गोलघर, खूनीपुर जब्ह खाना के पास वाली मस्जिद, मस्जिद जोहरा मौलवी चक बड़गो में तरावीह की नमाज में एक कुरआन-ए-पाक मुकम्मल हो गया।