January 13, 2025
माह-ए-रमज़ानः तरावीह की नमाज़ के लिए हाफ़िज़ व वक्त मुकर्रर, तरावीह की नमाज के लिए कुरआन शरीफ दोहराते हाफिज-ए-कुरआन

गोरखपुर। माह-ए-रमज़ान के साथ मस्जिदों में 22 या 23 मार्च से तरावीह की विशेष नमाज शुरू हो जाएगी। रमज़ान के स्वागत की तैयारियां चल रही हैं। रमज़ान में तरावीह नमाज़ का विशेष महत्व है। तरावीह में बीस रकात नमाज़ अदा की जाती है। तरावीह की नमाज़ में हाफ़िज़ पूरा क़ुरआन-ए-पाक सुनाते हैं। शहर व देहात की हर छोटी-बड़ी मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ विशेष रूप से अदा की जाती है। ज्यादातर मस्जिदों के लिए हाफ़िज़-ए-क़ुरआन मुकर्रर हो चुके हैं। शहर की मस्जिदों में तरावीह की नमाज़ रात 8ः15 से 8ः45 बजे के बीच शुरू होगी।

यह पढ़ायेंगे तरावीह की नमाज़
हाफ़िज़ रहमत अली, हाफ़िज़ महमूद रज़ा, हाफ़िज़ मो. मोइनुद्दीन, हाफ़िज़ मो. मुजम्मिल, हाफ़िज़ शमसुद्दीन, हाफ़िज़ मो. मोहसिन, हाफिज मो. शरीफ, हाफिज सद्दाम हुसैन, हाफिज गुलाम वारिस, हाफिज अफजल, हाफिज आफताब आलम, हाफ़िज़ अब्दुल वाहिद, मौलाना सद्दाम हुसैन, हाफिज शराफत हुसैन, हाफिज सफीउल्लाह, हाफिज औरंगजेब, हाफिज अयाज, हाफिज मो. अशरफ, हाफिज अमीर हम्जा, हाफिज मो. शाबान, हाफिज अंसारुल हक, हाफिज बदरूल्लाह आदि तरावीह की नमाज़ पढ़ाने के लिए तैयारियों में लगे हुए हैं। क़ुरआन-ए-पाक दोहराया जा रहा है ताकि नमाज़ में कोई आयत छूटने न पाए। तरावीह की नमाज़ में उन्हें नमाज़ियों को पूरा क़ुरआन-ए-पाक सुनाना है।

तरावीह की नमाज़ सुन्नते मुअक्कदा हैःमुफ्ती अख़्तर
मुफ़्ती-ए-शहर अख्तर हुसैन मन्नानी ने बताया कि तरावीह की नमाज़ मर्द व औरत सबके लिए सुन्नते मुअक्कदा है। उसका छोड़ना जाइज नहीं। तरावीह की नमाज़ 20 रकात है। तरावीह की नमाज़ पूरे माह-ए-रमज़ान में पढ़नी है। रमज़ान में तरावीह नमाज़ के दौरान एक बार खत्मे क़ुरआन करना सुन्नत है। दो बार खत्म करना अफ़ज़ल हैं। तीन बार क़ुरआन मुकम्मल करना फज़ीलत माना गया है। फिक्ह हनफ़ी के मुताबिक औरतों का जमात से नमाज़ पढ़ना जायज नहीं है। वह घर में ही तन्हा-तन्हा तरावीह की नमाज़ पढ़ेगी।

रमज़ान में उतरा क़ुरआनः मौलाना महमूद
चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर के इमाम मौलाना महमूद रजा कादरी ने बताया कि रमज़ान में न सिर्फ बंदों पर रोजे फर्ज किए गए बल्कि अल्लाह पाक ने सारी आसमानी किताबें रमज़ान के महीने में उतारी। क़ुरआन-ए-पाक इसी माह में नाज़िल हुआ। क़ुरआन-ए-पाक का हक़ है कि बंदे उसकी तिलावत करें और उसके हुक्म के मुताबिक ज़िंदगी गुजारें।

यहां इतने दिनों में मुकम्मल होगा एक क़ुरआन-ए-पाक
मदरसा दारुल उलूम हुसैनिया दीवाना बाज़ार- 07 दिन, मस्जिदे बेलाल दरगाह हजरत कंकड़ शाह निकट रेलवे म्यूजियम – 08 दिन, शाही जामा मस्जिद तकिया कवलदह, लाल जामा मस्जिद गोलघर, जामा मस्जिद हज़रत मुबारक खां शहीद नार्मल- 10 दिन, हुसैनी जामा मस्जिद बड़गो, मस्जिद कादरिया असुरन पोखरा, खूनीपुर जब्ह खाना के पास वाली मस्जिद, मस्जिद जोहरा मौलवी चक बड़गो-11 दिन, नूरानी मस्जिद तरंग क्रासिंग हुमायूंपुर – 14 दिन, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफ़रा बाजार, बेलाल मस्जिद इमामबाड़ा अलहदादुपर, कलशे वाली मस्जिद मिर्जापुर, मस्जिद मुसम्मात नसीबन बीबी (क़ादरिया मस्जिद) निकट कोतवाली नखास चौक, गौसिया निजामिया मस्जिद बिछिया, मरकजी मदीना जामा मस्जिद रेती चौक, नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर, मुकीम शाह जामा मस्जिद बुलाकीपुर, बेनीगंज ईदगाह रोड मस्जिद- 15 दिन, मस्जिद खादिम हुसैन तिवारीपुर- 17 दिन, मस्जिद जामे नूर जफ़र कॉलोनी बहरामपुर-20 दिन, सुन्नी बहादुरिया जामा मस्जिद रहमतनगर, चिश्तिया मस्जिद (अहले सुन्नत व जमात) बक्शीपुर, रज़ा मस्जिद जाफ़रा बाज़ार, गाजी मस्जिद गाजी रौजा, गौसिया जामा मस्जिद छोटे काजीपुर, मक्का मस्जिद मेवातीपुर- 21 दिन।

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