
मोहल्ला इस्लामचक जाफ़रा बाज़ार में जलसा-ए-ग़ौसुलवरा, अकीदतमंदों को खिलाया गया लंगर-ए-गौसिया
गोरखपुर। हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की याद में मोहल्ला इस्लामचक जाफ़रा बाज़ार कर्बला के पीछे शुक्रवार देर रात जलसा-ए-ग़ौसुलवरा का आयोजन हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हाफिज मोहम्मद आरिफ ने की। नात व मनकबत आदिल अत्तारी ने पेश की। करीब पांच सौ अकीदतमंदों को लंगर-ए-गौसिया खिलाया गया।
मुख्य अतिथि कारी मोहम्मद मोईनुद्दीन निज़ामी ने कहा कि ग़ौसे आज़म हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां अल्लाह को चाहने वाले, अल्लाह व रसूल (हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की याद में अपनी ज़िंदगी गुजारने वाले, अल्लाह व रसूल की रज़ा के काम करने वाले, अल्लाह की नाराज़गी के कामों से दूर रहने वाले, इल्मो-अमल, तकवा परहेजगारी की एक मिसाल थे। हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर अल्लाह की अता से अपनी बारगाह में आने वालों को सुनते देखते और पहचानते हैं और उनकी मदद भी फरमाते हैं। आप अल्लाह के महबूब बन्दे हैं, आपको अल्लाह ने बहुत रूहानी ताकत अता फ़रमाई है। आपके जिक्र की महफिलों में अल्लाह की रहमत नाज़िल होती है, आपकी दरगाह पर नूर बरसता है। आप मुसलमानों के दिलों पर राज करते हैं।

उन्होंने कहा कि दीन-ए-इस्लाम को हम तक या दुनिया के कोने-कोने तक पहुंचाने का सेहरा जिस जमात के सर है उस जमात का नाम औलिया किराम है। उन्हीं महापुरुषों में एक महान व्यक्ति का नाम हज़रत शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां है। आपका जन्म जीलान में हुआ था। आप इस्लामी शाखा के हम्बली विचारधारा को कुव्वत बख्शने वाले थे। आपके पिता का नाम हज़रत अबू सालेह मूसा व मां का नाम हज़रत उम्मुल खैर फ़ातिमा था। आप इल्म के समंदर, वलियों के सरदार हैं। आपका मजार-ए-मुबारक शहर बगदाद (इराक) में है।
अंत में सलातो-सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। जलसे में अलतमश हुसैन, साहिल हुसैन, अलसाद हुसैन, चांद हुसैन, फैसल अहमद, हाफिज कासिफ, हाफिज आमिर हुसैन निज़ामी, वसीउल्लाह अत्तारी, शहजाद अत्तारी, फरहान अत्तारी आदि शामिल रहे।