
सेराज अहमद कुरैशी
गोरखपुर। अकीदतमंदों ने महफिल-ए-ग़ौसुलवरा कर हज़रत सैयदना शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की बारगाह में अकीदत का नज़राना पेश किया। अतीक अहमद रहमतनगर के रिहाइशगाह पर महफिल-ए-ग़ौसुलवरा हुई।
उलमा-ए-किराम ने कहा कि मुसलमानों को हज़रत शैख़ अब्दुल कादिर जीलानी अलैहिर्रहमां के नक्शेकदम पर चलना चाहिए। मुसलमान नमाज, रोजा, हज, जकात के साथ मां-बाप, भाई-बहन, रिश्तेदारों, पड़ोसियों और आम इंसानों का हक अदा करें। किसी का दिल न दुखाएं। अल्लाह के महबूब पैग़ंबर हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, सहाबा किराम, अहले बैत व औलिया किराम ने पूरी दुनिया को तौहीद, कुरआन-ए-पाक व हदीस-ए-पाक की तालीमात पर अमल करते हुए इंसानियत, अमन व शांति की शिक्षा दी। अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई।
इस मौके पर इमामबाड़ा मुतवल्लियान कमेटी के महासचिव सोहराब खान, अतीक अहमद, जफर अहमद, रिज़वान हैदर, परवेज़ खान, एजाज अहमद, फैसल भाई के अलावा सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
नूरी मस्जिद तुर्कमानपुर में महफिल-ए-ग़ौसुलवरा हुई
मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा कि दुनिया में जो बेअमनी है वह सिर्फ इस बुनियाद पर है कि हमने पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम, सहाबा किराम, अहले बैत व औलिया किराम का बताया हुआ रास्ता छोड़ दिया है। जरूरत इस बात की है कि हम दुनिया में अमन चाहते हैं तो पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, सहाबा किराम, अहले बैत व औलिया किराम का बताया हुआ रास्ता अपनाना होगा। अमन के लिए भाईचारा और एक को दूसरों के हक को पहचानना बहुत जरूरी है। दुनियाभर में मचा खूनखराबा सिर्फ मोहब्बत से रोका जा सकता है और इसका रास्ता कुरआन-ए-पाक व पैग़ंबर-ए-आज़म की सुन्नतों पर अमल करने में है। इल्म के बिना किसी मसले की गहराई और उसका हल नहीं तलाशा जा सकता है। अगर हमें अपनी कौम को उन्नति के मार्ग पर ले जाना है तो इसके लिए जरूरी है कि नई नस्ल को पैग़ंबर-ए-आज़म, सहाबा किराम, अहले बैत व औलिया किराम की पाक ज़िंदगी से अवगत कराया जाए। कुल शरीफ की रस्म अदा कर दुआ मांगी गई। लंगर बांटा गया।
महफिल में शाबान अहमद, अलाउद्दीन निज़ामी, मनोव्वर अहमद आदि मौजूद रहे। फैजाने अहले बैत ट्रस्ट शाह मारूफ के मोहम्मद हाशिम वारसी, कासिम वारसी, सैयद हाशिम, सेराज, हसन, राजू आदि ने दरगाह हज़रत मुबारक खां शहीद नार्मल में चादपोशी कर फल बांटा।