भोपाल। अब पेट्रोल-डीजल की तर्ज पर हर माह बिजली सस्ती या महंगी होगी। असल में केंद्र सरकार ने विद्युत नियम 2005 में संशोधन कर दिया है। इसमें बिजली कंपनियां खुद ही दरें बढ़ा सकेंगी। इन कंपनियों ने इसकी अनुमति के लिए मप्र विद्युत नियामक आयोग में याचिका लगाई है, जिस पर आमजनों से 24 फरवरी तक दावे-आपत्तियां बुलाई गई हैं। इस पर 28 फरवरी को सुनवाई होगी।
इधर, बिजली मामलों का जानकारों का कहना है कि पहले हर तीन महा में ईंधन खर्च में बढ़ोतरी होने पर बिजली दर बढ़ाई जाती थी। नए बदलाव के बाद ईंधन खर्च के साथ बिजली खरीदी के खर्च को भी जोड़ दिया गया है।
अब कंपनियां मनमर्जी से बिजली के भाव बढ़ा सकेगी। अब तक फ्यूल कास्ट एडजस्टमेंट (एफसीए) के नाम पर यह दरें हर तीन माह में बढ़ाई जाती थी। बिजली कंपनी तेल और कोयले के दाम के आधार पर इसका निर्धारण करती है। यदि अप्रैल में ईंधन और बिजली चार्ज
(एफपीपीएएस) बढ़ता है तो एक माह बाद यानी जून में बिजली दरें बढ़ाई जाऐंगी। मई को दर जुलाई में बढ़ाई जाएंगी। एफपीपीएस सालाना वृद्धि से हटकर है। हर साल अप्रैल में नया टैरिफ लागू होता है। इससे पहले एफसीए नियामक आयोग तय करता था।