गोरखपुर। मदरसा क़ादरिया तजवीदुल क़ुरआन लिल बनात मोहल्ला अलहदादपुर में अज़ीम मुजद्दिद आला हज़रत इमाम अहमद रज़ा खां अलैहिर्रहमां की याद में जलसा हुआ। क़ुरआन ख़्वानी व फातिहा ख़्वानी की गई।
मुख्य वक्ता नाजमीन सुल्तानी ने कहा कि आला हज़रत एक सच्चे आशिक-ए-रसूल थे। कभी भी आपने रसूल-ए-पाक हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम, सहाबा किराम, अहले बैत व औलिया किराम की शान में मामूली सी तौहीन को भी पसन्द नहीं किया। आला हज़रत ने सदा इत्तेहाद, इत्तेफाक, मेल मोहब्बत का संदेश दिया। आला हज़रत मिल्लत में नाइत्तेफाकी पसन्द नहीं करते थे। आला हज़रत न सिर्फ एक धर्मगुरू थे बल्कि एक महान व सच्चे समाज सुधारक भी थे।
विशिष्ट वक्ता महजबीन सुल्तानी ने कहा कि आला हज़रत अहले सुन्नत वल जमात के सच्चे रहनुमा थे। आपकी तालीम ने 14सौ साल से चले आ रहे दीन-ए-इस्लाम को ताकत दी। आपकी सारी किताबें, क़ुरआन का तर्जुमा ‘कंजुल ईमान’ ‘फतावा रज़विया’ व आपका नातिया कलाम ‘हदाएके बख्शिश’ पूरी दुनिया में मशहूर है। मिस्र की विश्वविख्यात अल अज़हर यूनिवर्सिटी द्वारा आला हज़रत की किताबों का अनुवाद कराकर पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। जलसे में सामिया बानो, गौसिया सुल्तानी, सबीहा बानो, सना खातून, सबा खातून, अलशिफा शेख, हाजिया खातून, आबिदा खातून, आयशा बानो, नौशीन फातिमा, तरन्नुम रोजी, गौसिया, गजाला, नूर अफ्सा, जुबैदा खातून, आलिया खातून, साहिबा बानो सहित तमाम छात्राओं व महिलाओं ने शिरकत की।