इस्लाम अमन और सलामती का दीन है जो भाईचारे और मोहब्बत का पैग़ाम देता है, साथ ही यह समाज में फैलने वाली हर बुराई जैसे झूठ, चोरी, धोखेबाज़ी, रिश्वत, बेईमानी, बेहयाई, ज़िना और ज़ुल्म वग़ैरा को जड़ से ख़त्म करने का हुक्म देता है।
गोरखपुर। हज़रत सैयदना शैख़ अब्दुल क़ादिर जीलानी अलैहिर्रहमां की याद में तुर्कमानपुर तिराहे के पास जलसा-ए-ग़ौसुलवरा हुआ। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत हुई। नात व मनकबत कासिद रज़ा इस्माइली ने पेश की। जलसा रेयाज अहमद राईन के संयोजन में हुआ। सैकड़ों अकीदतमंदों को लंगर-ए-ग़ौसिया खिलाया गया।
मुख्य वक्ता मौलाना मो. असलम रज़वी ने कहा कि इस्लाम अमन और सलामती का दीन है जो भाईचारे और मोहब्बत का पैग़ाम देता है, साथ ही यह समाज में फैलने वाली हर बुराई जैसे झूठ, चोरी, धोखेबाज़ी, रिश्वत, बेईमानी, बेहयाई, ज़िना और ज़ुल्म वग़ैरा को जड़ से ख़त्म करने का हुक्म देता है। इस्लामी तालीम के मुताबिक़ मुसलमान वो है जिसके हाथ से दूसरे लोगों की जान और माल महफूज़ है। दीन-ए-इस्लाम में बहुत ख़ास बात है जिसकी वजह से यह हर दौर में क़ाबिले क़ुबूल है।
विशिष्ट वक्ता कारी फिरोज अहमद ने मुसलमानों के विकास और कल्याण के लिए तालीम को जरूरी क़रार देते हुए कहा कि मुसलमानों के ज़िंदगी के सभी क्षेत्रों में पिछड़ने की एकमात्र वजह तालीम से दूरी है। मुसलमानों को जहां दीनी तालीम पर ध्यान देने की ज़रूरत है वहीं आधुनिक तालीम को भी अपनाने की ज़रूरत है।
विशिष्ट वक्ता कारी मो. अनस रज़वी ने कहा कि पैग़ंबर-ए-आज़म हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बताए हुए रास्ते पर चलकर ही दुनिया की सब परेशानियों का हल निकाला जा सकता है और उससे अमन-चौन को हासिल किया जा सकता है। जिसकी आज दुनिया को बहुत ज़रूरत है। पैग़ंबर-ए-आज़म का फ़रमान है कि अल्लाह उस पर रहम नहीं करता जो इंसानों पर रहम न करे।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में शांति व भाईचारे की दुआ मांगी गई। जलसे में हाफिज रहमत अली निजामी, महताब अहमद, सोहराब अहमद, रेयाज अहमद, सेराज अहमद, मनोव्वर अहमद, हाफिज सलमान, हाजी सेराज, अलाउद्दीन निज़ामी, हाफिज जुनैद, अली अहमद अत्तारी, हाफिज शमीम, जलालुद्दीन कादरी, आकिब अंसारी, मो. आसिफ आदि ने शिरकत की।