November 22, 2024
कड़ाके की ठंडक शुरूः स्वरांजलि सेवा संस्थान ने लावारिस दिव्यांग जनों के बीच बांटा कंबल

वाल्मीकिनगर। बढ़ते ठंड के प्रकोप को देखते हुए भारत नेपाल सीमा पर अंतरराष्ट्रीय न्यास स्वरांजलि सेवा संस्थान द्वारा लगभग 1 दर्जन लावारिस दिव्यांग जनों के बीच निःशुल्क कंबल वितरण किया गया। इस दौरान अस्पताल कॉलोनी, छाता चौक, गोल चौक, तीन आर .डी पुल चौक, अस्पताल कॉलोनी, टंकी बाजार, गंडक बराज,हवाई अड्डा आदि क्षेत्रो मे भटकने वाले मानसिक बीमारों को संस्था के एम .डी संगीत आनंद एवम् अभिनेता डी. आनंद ने संयुक्त रूप से कम्बल प्रदान किया ।

समाजसेवी संगीत आनंद ने कहा कि विगत 14 नवंबर 2012 से ऐसे लोगों को भारत नेपाल सीमा पर घूम घूमकर सुबह शाम भोजन दिया जाता है। सर्दी के मौसम में गर्म कपड़े और कम्बल आदि प्रदान करना सबसे बड़ी मानव सेवा है। लोकप्रिय कलाकार डी. आनंद ने बताया कि ऐसे लोगों की सेवा ही सच्ची ईश्वर भक्ति है। उन्होने लोगों से निवेदन किया कि अपने आसपास भटकने वाले ऐसे लोग जिनका कोई आशियाना नहीं, जो ठंड में कांपते रहते हैं, जिनकी दिमागी हालत भी सही नही है। वैसे लोगों को भोजन एवम् कम्बल प्रदान करना ही मानवता है।

संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्षा अंजू देवी ने कहा कि ऐसे लोगों की सेवा का कार्य काफी चुनौतीपूर्ण है। कुछ दिव्यांग कंबल फेंक भी देते हैं। ठंड के मौसम में इनकी देखरेख कर पाना काफी मुश्किल काम है। इनकी सेवा में कई तरह की परेशानी आती है। कुछ ऐसे भी विक्षिप्त है जो ठंड में भी कपड़े खोलकर फेंक देते हैं। जहां बैठते हैं वही कम्बल छोड़ देते हैं । फिर भी हमारी संस्था द्वारा दरिद्र नारायण की सेवा की कोशिश लगातार जारी है। मानवीय संवेदना को समझना ही सच्ची राष्ट्र भक्ति है ।

इस मौके पर स्वरांजलि सेवा संस्थान के कोषाध्यक्ष शिव चंद्र शर्मा, सचिव अखिलानंद,राष्ट्रीय अध्यक्षा अंजू देवी, वरिष्ठ सदस्य विजय कुमार, साहित्यकार एस. एन. सौरभ, कामेश्वर श्रीवास्तव, आदि की भूमिका सराहनीय रही। विदित हो कि विगत एक दशक से सुबह शाम घूम घूम कर हर दिन दैनिक चलंत दरिद्र नारायण भोज के माध्यम से मानसिक बीमारों और जरुरतमंद को भोजन दिया जाता है। हर वर्ष भी ठंड के मौसम में गर्म कपड़े और कम्बल आदि का वितरण जारी है। आसपास के इलाकों में इस कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा हो रही है। संस्था के उत्कृष्ट कार्य हेतु भारत नेपाल में उक्त संस्थान को कई सम्मानों से सम्मानित भी किया जा चुका है।

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