नई दिल्ली। कोयला मंत्रालय ने प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से अलग करने के नजरिये से खनिज रियायत नियम, 1960 (एमसीआर) को संशोधित किया है। एमसीआर खनिज रियायतों के आवेदनों और उन्हें प्रदान की जाने वाली प्रक्रिया को नियमबद्ध करता है, जैसे सर्वेक्षण करने का परमिट, संभावित लाइसेंस और खनन पट्टे। ये रियायतें खानों के संचालन और विकास के लिये प्राथमिक जरूरतें हैं, जिसके बाद व्यापार गतिविधियों के अंग के रूप में बहुत सारे अनुपालनों की श्रृंखला होती है।
सरकार व्यापार और नागरिकों के लिये अनुपालनों को कम करने के लिये पहलें कर रही है। सरकार की ‘व्यापार सुगमता’ नीति को प्रोत्साहन और बढ़ावा देने के लिये एमसीआर में संशोधन करके 68 प्रावधानों को अपराध की श्रेणी से हटा दिया गया है। इसके अलावा एमसीआर के 10 प्रावधानों में जुर्माना कम किया गया है।
अतिरिक्त या कम रॉयल्टी के समायोजन के लिये एक प्रावधान जोड़ा गया है। इसके अलावा सरकार को देय किराया, रॉयल्टी, शुल्क अदा करने में विलंब या अन्य बकायों पर लगने वाले जुर्माने पर ब्याज की दर को 24 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत कर दिया गया है। संभावना है कि इन प्रावधानों से कोयला खनन सेक्टर में वे सभी आर्थिक रियायतें शामिल हो जायेंगी, जिनकी बहुत जरूरत थी।