
गुजरात। मोरबी शहर में केबल पुल टूटने पर 141 लोगो की मौत के बाद जहां इस हादसे की जांच का आदेश दे दिया गया वही जांच शुरू होते ही चौकाने वाला मामला सामने आया है, इस केबल पुल को मरम्मत का ठेका एक ऐसे ग्रुप को दिया गया था जो बल्ब, दीवार घड़ी, बिजली के उपकरण,कैलकुलेटर, चीनी मिट्टी के उत्पाद और ई-बाइक बनाने में विशेषज्ञता हासिल है, यहां अब सवाल यह खड़ा हो रहा है कि 100 साल से भी अधिक इस पुराने पुल की मरम्मत का ठेका इस ओरेवा ग्रुप को कैसे मिल गया?
इतना ही नही मच्छु नदी पर बना झूलता पुल के नाम से मशहूर केबल पुल मार्च में ओरेवा ग्रुप को मोरबी नगर निकाय ने पुल की मरम्मत और देखरेख का ठेका दिया था और 7 महीने पहले मरम्मत के लिए बंद कर दिया गया था, इसे 26 अक्टूबर को गुजराती नव वर्ष के मौके पर फिर से खोला गया था, ऐसा आरोप है कि पुल को बिना फिटनेस प्रमाणपत्र के खोल दिया गया।
कंपनी के प्रबंधन से इस पर टिप्पणी नहीं मिल सकी है, लेकिन समूह के प्रवक्ता ने दुर्घटना के तुरंत बाद कहा था कि पुल इसलिए टूटा क्योकि पुल के मध्य में कई सारे लोग इसे एक तरफ से दूसरी तरफ झुलाने की कोशिश कर रहे थे।
पुलिस ने गुजरात के मोरबी शहर में केबल पुल के रखरखाव और संचालन का काम देखने वाली एजेंसियों के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के आरोप में प्राथमिकी दर्ज की है। अधिकारियों ने सोमवार को यह जानकारी दी। मच्छु नदी पर केबल पुल रविवार को टूट गया था। इस हादसे में करीब 134 लोगों की मौत हो गई थी। मोरबी नगर पालिका के मुख्य अधिकारी संदीपसिंह जाला ने रविवार को संवाददाताओं से कहा कि शहर में घड़ियां और ई-बाइक निर्माता ओरेवा समूह को पुल के नवीनीकरण और संचालन का ठेका दिया गया था।