
भदोही। यह एक नए खतरे की घंटी है। ग्रामीण क्षेत्रों की कम पढ़ी-लिखी और गरीब आबादी की गाड़ी कमाई फर्जी बैंक चला रहे ठगों के निशाने पर हैं। ऐसे ही एक बैंक का पर्दाफाश उप्र की भदोही पुलिस ने शुक्रवार को किया। इसके मुख्य प्रबंध निर्देशक (सीएमडी) जौनपुर निवासी मुरारी कुमार निषाद व सोनभद्र के अशोक कुमार को गिरफ्तार किया है।
तीन साल से ये भारत सेवा मानस जीवन (बीएसएमजी) नाम से फर्जी बैंक चला रहे थे। सोनभद्र से शुरु इस बैंक ने छह और जिलों भदोही, वाराणसी, जौनपुर, सोनभद्र, मिर्जापुर, गाजीपुर और आजमगढ़ में भी जड़ें जमा लीं। 38 शाखाएं खेाल ली। 22 हजार से अधिक खाते खोल लिए। रकम को दोगुना करने का झांसा देकर सालाना टर्नओवर 17 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। ठगी के इस खेल की किसी को खबर तक नहीं लगी। जरूरत पर ऋण नहीं मिलने और दुर्व्यवहार के शिकार ज्ञानपुर पुरानी बाजार के रामू गौड़ को पुलिस ने शिकायत से मामला उलट गया और करोड़ों रुपये की ठगी के खिलाड़ी हवालात पहुंच गए।
एसपी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि सातों जिलों में बैंक की शाखाओं की जांच के लिए एसआइटी गठित की गई है। रामू गौड़ ने बीएसएमजे बैंक, किसानदेवपुर गोपीगंज में तीन साल पहले ढाई लाख रुपये जमा किए थै। पांच साल में रुपयो दोगुना होने के दावे पर परिवर के 15 अन्य लोगों ने भी छह लाख रुपए ैंक में जमा करा दिए। हाल ही में जरूरत पर बैंक से 85 हजार रुपये ऋण लेने का आवेदन किया। मुरारी कुमार निषाद ने ऋण देने से मना करने के साथ दुर्व्यवहार भी किया तो एक माह पूर्व ज्ञानपुर कोतवाली में केस दर्ज कराया। मामला पुलिस अधीक्षक तक पहुंचा तो मिनिस्ट्री ऑफ कारपोरेट अफेयर्स को मेल किया। जवाब आया कि ऐसा बैंक रजिस्टर्ड नहीं है। रजिस्ट्रार चिट फंड को पत्र भेजा तो यहां भी रजिस्ट्रेशन नहीं था। इसके बाद पुलिस ने बैंक शाखा पर छापा मारा। दो कार, तीन लैपटॉप, तीन मोबाइल फोन, दो पासपोर्ट, 36 हजार रुपये नकद, 70 रजिस्टर और 618 पासबुक बरामद दिए।
दोनों आरोपितों मुरारी व अशोक केा गिरफ्तार किया गया। वे बैंक में जमा 60 प्रतिशत राशि अपने शौक व जमीन आदि खरीदने में खर्च करते थे। अरोपित बैंक शाखाएं ग्रामीण बाजारों में खोलते थे। एफडी करते थै। दस प्रतिशत ब्याज पर लोन भी देते थे। शर्त यह कि एक साल में पैसा जमा नहीं किया तो जमा धन भी जब्त कर लेंगे।