गाजियाबाद। मोदीनगर थाना क्षेत्र की राधा एन्क्लेव कालोनी में एक करोड़ के लालच में दोस्त ने पीएचडी छात्र अंकित की हत्या कर उसके शव के तीन टुकड़े कर दिए। शव छिपाने के लिए तीनों टुकड़ों को पालीथिन में भरकर खतौली व मसूरी की नहर और ईस्टर्न पेरिफेरल के पास फेंक दिया।
मुख्य आरोपित को गिरफ्तार कर लिया गया है।
घटना पांच अक्टूबर की रात की है। आरोपित की निशानदेही पर अंकित के घर से आलाकत्ल आरी, जले हुए कपड़े व अंकित के बाल और खून के निशान भी मिले हैं। मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपित को गिरफ्तार किया है। अन्य की तलाश की चल रही है।
मूलरूप से बागपत के गांव मुकंदपुर के 45 वर्षीय अंकित चौधरी शहर की राधा एन्कलेव कालोनी में किराये के मकान में रहते थे। यह मकान उनके दोस्त देवेंद्रपुरी के रहने वाले उमेश शर्मा का है। दोनों के बीच गहरी दोस्ती थी। अंकित लखनऊ के डा. भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी से पीएचडी कर रहे थे। तीन महीने पहले ही उन्होंने फाइल जमा की थी।
मकान बेचकर मिले थे एक करोड़ रुपये
इस बीच, बागपत स्थित अपना मकान बेच दिया, जहां से उन्हें एक करोड़ रुपये मिले थे। इसमें से चालीस लाख उमेश ने अंकित से उधार लिए थे। बाकी रुपयों पर भी उमेश की नजर थी। इसलिए उसने योजनाबद्ध तरीके से पांच अक्टूबर की रात अंकित की गला दबाकर हत्या कर दी।
शव ठिकाने लगाने के लिए उमेश ने आरी से शव के तीन टुकड़े किए। तीनों टुकड़ों को पालीथिन में भरकर रात में ही ठिकाने लगा दिया। इसमें दो टुकड़े मसूरी व खतौली में नहर में फेंके और एक टुकड़े को दुहाई में ईस्टर्न पेरिफेरल के पास फेंक दिया। इसके बाद वह अंकित के डेबिट कार्ड से रकम निकालने लगा।
दो महीने से घर नहीं आया अंकित
उधर, अंकित के साथ पीएचडी कर रहे साथियों की जब दो महीने से उससे बात नहीं हुई तो उसे खोजते हुए मोदीनगर आए। यहां उन्हें पता चला कि अंकित तो दो महीने से घर ही नहीं आया है। उन्होंने 12 दिसंबर को मोदीनगर थाने में अंकित की गुमशुदगी दर्ज कराई।
आसपास के लोगों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि उमेश से ही अंकित की दोस्ती थी। शक के आधार पर जब पुलिस ने उमेश को हिरासत में लेकर पूछताछ की तो पूरे घटनाक्रम से पर्दा हट गया। उमेश ने पुलिस को बताया कि उसने पुलिस से बचने के लिए शव के हिस्सों को अलग-अलग फेंका था।
पूर्व में हो गया था माता-पिता का निधन
अंकित अपने माता पिता की इकलौती संतान थे। उनके माता पिता की पूर्व में मृत्यु हो गई थी और पैतृक संपत्ति उनके नाम आ गई थी। इसी संपत्ति को उन्होंने एक करोड़ रुपये में बेचा था।
हत्या के बाद भी खाते से निकाले पैसे
हत्या के बाद उमेश अंकित के एटीएम व यूपीआइ के माध्यम से पैसे निकालता रहा। उसने पीएनबी के खाते से विभिन्न माध्यमों से 20 लाख रुपये निकाले। इसके बाद उमेश की तबीयत खराब हो गई और उसने अपने बिसरख के साथी प्रवेश को अंकित का एटीएम देकर कहा कि इसमें काफी पैसे हैं, ये उत्तराखंड जाकर निकालने हैं।
उसने कहा कि अपना फोन घर रखकर जाना और अंकित का फोन एटीएम पर आन करना, ताकि किसी को शक न हो। प्रवेश एक दिसंबर को हरिद्वार गया और 40 हजार रुपये निकालकर वापस आ गया। अगले दिन वह ऋषिकेश गया और यहां से भी 40 हजार रुपये निकाले। 12 दिसंबर को भी उसने रुड़की में भी एक एटीएम से 40 हजार रुपये निकाले।