कीव। रूस और यूक्रेन के बीच जंग बढ़ती जा रही है। गौर हो कि इस जंग को लेकर भारत सरकार ने एक सप्ताह में दो बार एडवाइजरी जारी की है जिसमें यूक्रेन में रहे भारतीय मूल के लोगों को जल्द से जल्द वतन वापसी करने को कहा है। लेकिन यूक्रेन में एक ऐसा भारतीय भी है, जो भारत सरकार की एडवाइजरी नहीं मान रहा। उनका कहना है कि कोई यूक्रेनियन भूखा न सोए। उन्होंने अपने होटल और पैलेस में लंगर लगा दिया है, जहां पर रोजाना एक हजार से अधिक लोग मुफ्त में भरपेट भोजन कर रहे हैं।
दिल्ली के हरीनगर निवासी कुलदीप कुमार 28 साल पहले यूक्रेन चले गए थे। वहां पर जाकर गारमेंट्स की दुकान पर नौकरी की और बाद में अपना रेस्टोरेंट व पैलेस तैयार किया। आज उनका नाम यूक्रेन में काफी अदब से लिया जाता है। अमर उजाला से खास बातचीत में कुलदीप कुमार ने कहा कि यूक्रेन ने बहुत कुछ दिया है, अब यूक्रेन पर बुरा वक्त है तो हमारा भी फर्ज बनता है कि इस संकट की घड़ी में उन लोगों का साथ दिया जाए, जिन्होंने 28 साल पहले मुझे अपनाया था।
यूक्रेन में अब लोग विस्फोट की आवाज सुनते हैं, तो दौड़कर मेट्रो स्टेशन, बंकर या घर के बेसमेंट में शरण लेते हैं। युद्धग्रस्त यूक्रेन की राजधानी कीव के निवासी इसी तरह अपना दैनिक जीवन व्यतीत करते हैं। रूसी सीमा से भारी संख्या में लोग पलायन कर कीव आ गए हैं। रूसी आक्रमण से तबाह हुए इन यूक्रेनियन को खाना नहीं मिल रहा है। नतीजतन उन्हें कीवी आने के बाद भी भूखे रहना पड़ रहा है। खुले आसमान के नीचे रात बितानी पड़ती है। इस विकट स्थिति में भारतीय रेस्टोरेंट के मालिक कुलदीप कुमार ने उनको अपनाया। उन्होंने अपने रेस्टोरेंट में लंगर चला दिया। कीव में उनका न्यू बॉम्बे प्लेस नाम से रेस्टोरेंट है। उन्होंने रेस्टोरेंट में फ्री खाना बांटना शुरू कर दिया तो शुरू में 100 के आसपास लोग ही खाने के लिए आते थे लेकिन अब संख्या एक हजार क्रास कर चुकी है।
मीडिया से बातचीत में कुलदीप ने कहा कि कितना भी खतरा हो, वह यूक्रेन छोड़कर नहीं जाने वाले हैं, यहां के लोगों का दर्द है। लंगर के बारे में कुलदीप ने कहा कि यह सेवा शुरुआत में भारतीय छात्रों के लिए शुरू की गई थी। लेकिन बाद में उन्हें अपनी योजना बदलनी पड़ी।
अब यहां उस तरह कोई भारतीय छात्र नहीं हैं लेकिन जैसे-जैसे रूस अपने हमलों को बढ़ाता है, मैं देखता हूं कि कई यूक्रेनियन हर दिन भूखे रह रहे हैं। इसलिए मैंने उनके लिए रेस्टोरेंट में लंगर लगाने का फैसला किया। बढ़ते हमलों के बीच कुलदीप के परिवार वालों ने उन्हें रेस्टोरेंट बंद करके भारत लौटने की सलाह दी लेकिन उन्होंने यह नहीं सुना।
कुलदीप ने कहा कि भारत की परंपरा उत्पीड़ित लोगों के साथ खड़े रहने की है। युद्ध क्यों चल रहा है, कौन सही है या कौन गलत, इसकी चिंता करने का समय नहीं है। मैं उन लोगों के मुंह में खाना डालने की कोशिश कर रहा हूं जो बिना भोजन के मर रहे हैं।