February 4, 2025
भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ा सुलभ शौचालय, शौच के लिए घर से पानी लेकर जाना पड़ता है, मामला सिसवा विकास खण्ड का

सिसवा बाजार-महराजगंज। प्रदेश सरकार की महात्वाकंक्षी योजना शौचालय योजना सिसवा विकास खण्ड में भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गयी है, जहां कुछ गांव में ग्राम प्रधान व सेकेट्री मनमानी कर लूट का जरीया बना लिए है वही अधिकारी मौन धारण कर फर्जी रिपोर्ट भेजने में लगे हुए है कि यहां सबकुछ चका चक है, इधर डीएम साहब बाहर शौच जाने वालों पर कार्यवाही की बात कर रहे है, ऐसे में जब सुलभ शौचालय भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया तो गांव के लोग शौच के लिए जाएं तो कहां जाए?

यह मामला है सिसवा विकास खण्ड के ग्राम कारीडिहा का, इस ग्राम सभा में सत्र 2021/22 में लगभग 5 लाख रूपये की लागत से सुलभ शौचालय का निर्माण किया गया लेकिन यह भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया, निर्माण में ही ग्राम प्रधान व सेकेट्री मिलकर जो खेल खेला आज गांव के लोग शौचालय में जाना नही चाहते, सरकार का पैसा खर्च हो गया लेकिन कोई फायदा नही है।
अगर इस सुलभ शौचालय की बात करें तो यहां महिला और पुरूष के बने अलग-अलग शौचालय का दर्वाजा 24 घंटे खुला रहता है और स्नान का का दरवाजा 24 घंटे बंद रहता है, अन्दर की बात करें तो लगता है, निर्माण के बाद से अबतक कोई शौच के लिए गया ही नही और अब तक सफाई भी नही हुयी है, वही निर्माण में भी काफी अनियमितता बरती गयी है जांच हो तो भ्रष्टाचार के राज भी खुलेंगे।

शौच के लए घर से लाना होगा पानी
वैसे इस शौचालय में अबतक कोई गया नही लेकिन अगर किसी को शौच के लिए जाना हो तो घर से ही साथ में पानी लाना होगा, क्यों कि बोरिंग तो लगा दिया गया है, मोटर भी लेकिन बिजली कनेक्शन नही है तो वही यहां लगा हैण्ड पम्प खराब पड़ा है, तो आप ही बताये अगर कोई शौच के लिए जाए भी तो घर से ही पानी लेकर आना होगा, अगर स्नान करना होगा तो क्या करेगा, शायद इसी लिए स्नान घर पर ताला लगा रहता है।

रख रखाव पर 9 हजार रूपये हर माह होता है खर्च
इस शौचालय के रख रखाव की जिम्मेदारी जय मां लक्ष्मी सेवा संस्थान समुह को दी गयी है, इस समूह को हर माह 9 हजार रूपये का भुगतान किया जा रहा है, अभी 26 अप्रैल 22 को 54 हजार रूपये का भुगतान किया गया, इस में 6 हजार रूपये मानदेय व 3 हजार रूपये साफ-सफाई के सामग्री का हर माह के हिसाब से भुगतान होता है, ऐसे में सवाल यह उठता है जब यहां कोई रख रखाव के लिए रहता ही नही है, आज तक कोई शौच के लिए गया ही नही तो आखिर यह पैसा कहां और क्यों खर्च हो रहा है।
यानी अधिकारियों की मिली भगत से रख रखाव के नाम पर सरकार के धन को लूटा जा रहा है।

अधिकारी आफिस से निकलते ही नही
इस सुलभ शौचालय की हालत देखने के बाद और जिस तरह रख रखाव की धन हर माह के हिसाब से निकल रहा है उससे तो यही लगता है, विकास खण्ड के अधिकारी कभी आफिस से बाहर निकल कर गांव की तरफ जाते ही नही है कि वह मौके की स्थिति को जाने और आफिस में बैठे की सरकार की योजनाओं को सफल होने की रिपोर्ट भेजते रहते है।

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