काबुल। अफगानिस्तान में गरीबी और बेरोजगारी के कारण असंख्य परिवारों पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। हालात इस कद्र खराब हो गए हैं कि कई बार घर में बच्चों को खाने के लिए मां-बाप के पास खाना तक नहीं होता। इसी कारण वे बच्चों को नींद की गोलियां देते हैं। इसके अलावा भूखे परिवारों का पेट भरने के लिए माता-पिता बेटियों की किडनी तक बेच दे रहे हैं। कुछ परिवारों की त्रास्दी यह है कि उन्होंने बेटियां तक बेच डालीं।
बल्ख प्रांत में तो हालात इस कदर बदतर हो चुके हैं कि यहां गरीबी से जूझ रहे एक परिवार को अपना बच्चा बेचने से भी गुरेज नहीं है। इसी माह एक रिपोर्ट प्रकाशित हुई थी जिसमें उस घटना का जिक्र किया गया जिसमें एक परिवार दो साल के बच्चे को बेचने जा रहा था लेकिन उसे बचा लिया गया। बेरोजगारी की बात करें तो अधिकांश दिनों में पुरुषों के पास कोई काम नहीं रह गया है, जिस दिन उन्हें काम मिलता है, वे लगभग 100 अफगानी या सिर्फ एक डॉलर के आसपास कमा पाते हैं। एक नागरिक ने कहा, मैंने अपनी पांच साल की बेटी को 100,000 अफगानी (अफगानिस्तान की करेंसी) में बेच दिया। यह किडनी की कीमत की आधे से भी कम रकम है।
संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि एक मानवीय तबाही अब अफगानिस्तान में सामने आ रही है। एक अफगानिस्तानी मजदूर ने कहा कि मुझे अपनी 13 साल की और 15 साल की लड़कियों को बेचना पड़ा। उनसे शादी करने वाले युवक दोगुनी उम्र के हैं, हमें इसके लिए 3 हजार डॉलर की पेमेंट मिली है। अगर भविष्य में ये पैसा खत्म हो जाता है तो मुझे अपनी 7 साल की बच्ची को भी बेचना पड़ेगा, मुझे इस बात का बेहद अफसोस है लेकिन अगर मैं ऐसा नहीं करता हूं तो मेरा पूरा परिवार भूख से मर जाएगा।