जिलाअधिकारी ने जिले के आला ऑफिसरान, दरगाह प्रमुख के प्रतिनिधिमण्डल और जुलुस अंजुमनों तथा वाल्मीकि जयंती जुलूस के आयोजकों के साथ एक अहम मिटिंग की है।
बरेली। इस वर्ष बरेली शरीफ में ईद मिलादुन्नबी और बालमिकी जयंति के जुलूस एक ही दिन पड रहे हैं जिसको लेकर जुलुस आयोजक और प्रशासन काफी फिक्रमंद दिखाई दे रहे हैं। वजह यह है कि दोनों जुलुसों के समय और रुट में काफी समानता है।
इस संबंध में जिला कलेक्ट्रेट सभागार बरेली में जिलाअधिकारी ने जिले के आला ऑफिसरान, दरगाह प्रमुख के प्रतिनिधिमण्डल और जुलुस अंजुमनों तथा वाल्मीकि जयंती जुलूस के आयोजकों के साथ एक अहम मिटिंग की है।
मरकजे अहल-ए-सुन्नत दरगाहे आला हज़रत प्रमुख हज़रत सुब्हानी मियॉ और सज्जादानशीन हजरत अहसन मियॉ साहब इस जुलूसे मोहम्मदी की कयादत और नेतृत्व करते हैं।उनकी ओर से मरकजे अहल-ए-सुन्नत दरगाहेआलाहजरत के मुफ्ती मोहम्मद सलीम बरेलवी साहब ने पक्ष रखते हुए कहा कि पुरे विश्व के मुस्लमान अपने पैगम्बर का जन्म दिन जश्ने ईद मिलादुन्नबी के मौके पर शान्ती दिवस के रुप में मनाते हैं।आपसी सौहार्द को बढावा देना और नफरतों को मिटाना इस पर्व को मनाने का अहम उद्देश्य है।
हमारे नबी ने दुनिया में तशरीफ लाकर अमन व शान्ति की स्थापना की,विश्व स्तर पर इस्लाम ने शान्तिवाद और मानवतावाद का प्रसार किया।
इस जुलुसे मोहम्मदी के द्वारा हम इस्लाम के इसी मुल सिद्धांत और इसी संदेश को आम करते हैं।समाज से नफरतों को मिटाने और आपसी सौहार्द की खुशबु फैलाने का ही संदेश लेकर आता है जश्ने ईद मिलादुन्नबी का यह पर्व।
मुफ्ती मोहम्मद सलीम साहब ने यह भी प्रस्ताव रखा कि इस वर्ष हम जुलुसे मोहम्मदी निकालने का समय दो घंटे आगे कर के बजाय चर बजे शाम के छ बजे शाम कर लेंगे और वाल्मिकी समाज अपना जुलुस दोपहर 12 बजे की बजाय सुबह दस बजे से आरम्भ कर दे।सब ने इस प्रस्ताव को पसंद किया।