आज सावन का पहला सोमवार है, ऐसे में देशभर के शिव मंदिरों में भारी संख्या में शिव भक्तों की भीड़ जुट रही है
सिवान। सावन के पहले सोमवार को ही मंदिर में भगदड़ की बड़ी खबर सामने आई है। बिहार के सिवान के महेंद्र नाथ मंदिर में भारी भीड़ उमड़ी थी। जल चढ़ाने के चक्कर में अचानक से यहां भगदड़ मच गई, जिसमें दो महिलाओं के पैरों तले कुचलने से मौत हो गई है। कई लोग घायल भी हैं। आज सावन का पहला सोमवार है, ऐसे में देशभर के शिव मंदिरों में भारी संख्या में शिव भक्तों की भीड़ जुट रही है। इस बीच बिहार के सिवान के प्रसिद्ध महेंद्र नाथ मंदिर में भी सुबह से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। लेकिन इस बीच यहां यह दुखद हादसा हो गया।
दरअसल बिहार का बाबा महेंद्रनाथ मंदिर प्राचीनतम मंदिरों में से एक है। नेपाल के राजा महेंद्र वीर विक्रम सहदेव ने मेंहदार में खूबसूरत मंदिर को बनवाया और इसका नाम महेंद्रनाथ रखा था। सीवान से लगभग 32 किमी दूर सिसवन ब्लॉक के मेंहदार गांव में स्थित भगवान शिव के महेंद्रनाथ मंदिर का निर्माण नेपाल नरेश महेंद्र ने 17वीं सदी में करवाया था। वहीं भगवान शिव के प्रिय माह सावन में यहां भक्तों की भारी जुटती है। ऐसे में आज सावन के पहले सोमवार को भारी संख्या में श्रद्धालु यहां पहुंच रहे हैं। इसी बीच यहां जल चढ़ाने को लेकर भक्तों में भगदड़ जैसी स्थिति पैदा हो गई। इसी दौरान दो महिला भीड़ में दब गई और उनकी मौत हो गई। हादसे में दो महिलाओं के घायल होने की भी खबर है।
मंदिर आसपास के क्षेत्र के लोगों के अलावा देशी-विदेशी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। मेंहदार धाम बिहार का पर्यटक और ऐतिहासिक स्थल है। लगभग 500 वर्ष पुराना मेंहदार का महेंद्रनाथ मंदिर सबसे पुरानी धार्मिक स्थलों में है जो अब लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। बाबा महेन्द्र नाथ के मुख्य मंदिर के पूर्व में सैकड़ों बड़े छोटे घंटी लटका है जो देखने में बहुत ही रमणीय लगता है। घंटी के सामने पर्यटक अपनी फोटो खिंचवाते हैं। भगवान गणेश की एक प्रतिमा भी परिसर में रखा गया है।
उत्तर में मां पार्वती का एक छोटा सा मंदिर भी है। हनुमान की एक अलग मंदिर है, जबकि गर्भगृह के दक्षिण में भगवान राम, सीता का मंदिर है। काल भैरव, बटूक भैरव और महादेव की मूर्तियां मंदिर परिसर के दक्षिणी क्षेत्र में है। मंदिर परिसर से 300 मीटर की दूरी पर भगवान विश्वकर्मा का एक मंदिर है। मंदिर के उत्तर में एक तालाब है जिसे कमलदाह सरोवर के रूप में जाना जाता है जो 551 बीघा क्षेत्र में फैला हुआ है। इस सरोवर से भक्त भगवान शिव को जलाभिषेक करने के लिए पानी ले जाते हैं।