सिसवा बाजार-महाराजगंज। सिसवा विकासखंड के ग्राम शितलापुर में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है, यहां शिकायतकर्ता ने निर्माण कार्यों में जिस अधिकारी पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया उसे ही जांच अधिकारी बना दिया गया, वह अपनी कलम से खुद क्यों फंसे इसलिए उसने जांच कम निस्तारण का प्रमाण पत्र जारी कर दिया और उस प्रमाण पत्र को आईजीआरएस पर डाल दिया, जब शिकायतकर्ता ने निस्तारण को पढ़ा तो माथा ही घूम गया क्योंकि निस्तारण नहीं बल्कि वह सुझाव था।
मिली जानकारी के अनुसार सिसवा विकासखंड के ग्राम शितलापुर में परफार्मेंस ग्रांट के तहत महत्वपूर्ण योजनाओं से कार्य किया जा रहा है, निर्माण कार्यों में अनियमितता की शिकायत आदित्य मिश्रा द्वारा की गई थी, आदित्य मिश्रा ने अपने शिकायती पत्र में लिखा कि इस ग्राम सभा में विकास कार्य के लिए करोड़ो रूपया आया हुआ है, लेकिन निर्माण कार्यों में मानक के विरुद्ध तीन नम्बर के ईंटों का प्रयोग करते हुए सड़कों का निर्माण किया जा रहा है।
शिकायती पत्र में ग्राम प्रधान और ग्राम विकास अधिकारी को आरोपित किया गया है, वही शिकायत की जांच उसी ग्राम विकास अधिकारी विनय शर्मा को सौपं दी गयी जिस पर आरोप है, फिर क्या था अपनी कलम से अपने कौन फंसना चाहेगा, ऐसे में ग्राम विकास अधिकारी विनय शर्मा ने शिकायत के निस्तारण की आख्या जो IGRS पर डाली है वह शिकायत की जांच नही बल्कि सुझाव है और जानकारी दी गयी है।
उन्होंने जो निस्तारण आख्या में लिखा है कि की परफॉर्मेंस ग्रांड का गांव है, जिसका वर्क टेंडर जिले के माध्यम से टीम के द्वारा किया जाता है और जिला स्तरीय नोडल अधिकारी नियुक्त कर कार्यों की देखरेख की जा रही है जिसमें किसी तरह का मानक के विपरीत कार्य कराए जाने पर फर्म को ब्लैक लिस्ट कर भुगतान रोक दिया जाता है, ग्राम पंचायत शितलापुर में गलत कार्य किसी प्रकार का संज्ञान आने पर जिले की टीम से निस्तारण किया जाता है।
इस तरह विकास कार्यों के अनियमितता की जांच न कर सुझाव व जानकारी देकर निस्तारण कर डाली गयी और मामले को यहीं खत्म कर दिया गया, अब सवाल यह उठता है कि शिकायतकर्ता आदित्य मिश्र ने निर्माण कार्यों में अनियमितता की शिकायत किया और सुझाव दे निस्तारण कर दिया गया, क्या ऐसे ही जांच की जाती है?