November 25, 2024
20 बार बचा बलि का बकरा, अब सामना होगा चीतों से

इस बकरे को लगभग 20 बार शिकार के लिए बांध गया था लेकिन हर बार वह बच गया।

इंदौर। मध्य प्रदेश के श्योपुर स्थित कूनो नेशनल पार्क में नामीबिया से आठ चीते आ गए हैं। इन चीतों में पांच मादा और तीन नर हैं। इनसे ही भारत में चीतों का कुनबा बढ़ाने की तैयारी है। इन चीतों के भोजन के लिए चीतल को भी छोड़ा गया है, लेकिन कूनो में तो एक ऐसा शिकार चर्चा में है जो हर बार बच जाता है।
यह एक बकरा है, इस बकरे को जब भी चारे के तौर पर इस्तेमाल किया गया, उसे कोई भी अपना शिकार नहीं बना सका। कहा जा रहा है कि इस बकरे को लगभग 20 बार शिकार के लिए बांध गया था लेकिन हर बार वह बच गया। जिस पार्क में इन चीतों को बसाया जा रहा है, वहां पहले छह तेंदुए थे। इन चीतों को तेंदुओं से खतरा था और इस वजह से उन्हें वहां से निकलना जरूरी था।

दिलचस्प बात यह है कि तेंदुओं को पकडऩे के लिए जिस बकरे को चारा बनाया गया था वह आज भी जिंदा है। सारे तेंदुए पकड़े जा चुके हैं और उन्हें बाहर निकाला जा चुका है।
बता दें कि कूनों के इस इलाके में इन चीतों से पहले करीब तेंदुए थे। लेकिन इन तेंदुओं ने भी उस बकरे को अपना शिकार नहीं बनाया। यह बकरा आज भी इसी जंगल में मजे से घास चरते देखा जा रहा है कूनो नेशनल पार्क के कर्मचारी इसे भाग्यशाली बकरा कहते हैं क्योंकि बलि का बकरा बनाने के बाद भी हर बार बच जाता है। वन विभाग के कर्मचारियों के अनुसार सह 12 वर्ग किमी का क्षेत्र पूरी तरह से तेंदुआ मुक्त कर िदया गया है। तो ऐसा माना जा रहा है कि अब इस वजह से यह बकरा अब चीतों का आहार बन सकता है। चीतों के लिए तैयार किए गए 12 वर्ग किमी के बाड़े में तेंदुओं की मौजूदगी ने वन विभाग के अफसरों की चिंताओं को बढ़ा दिया था। दो महीने पहले तक तो ऐसा लग रहा था कि इन तेंदुओं की वजह से प्रोजेक्ट चीता खटाई में पड़ सकता है।

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15 अगस्त को चीतों को आना था, लेकिन उनके आगमन को टाल दिया गया। इस दौरान तेंदुओं को पकडऩे का वक्त मिल गया। वन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक कूनो पार्क में छह तेंदुए थे। इन्हें एक-एक कर पकड़ा गया। अलग-अलग जगहों पर लगाए गए पिंजरों में चारे के तौर पर बका समेत अन्य जानवरों को बांधा गया, लेकिन इस बकरे पर कभी आंच नहीं आई। अगस्त तक तो तेंदुए वन विभाग के अफसरों को छकाते रहे, उसके बाद कब्जे में आए और उन्हें दूसरे जंगलों में छोड़ा गया।

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