
कुशीनगर। जहां देश दुनिया में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की धूम रहती है वहीं कुशीनगर जिले की पुलिस पिछले 28 वर्ष से श्रीकृष्ण जन्माष्टमी नहीं मनाती, 1994 में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात यहां के जंगल पार्टी व पुलिस के बीच फायरिंग शुरू हो गई और नदी में डोंगी नाव पलटने से 6 पुलिसकर्मी डूबकर मर गये थे, उसी समय से यहां की पुलिस ने श्रीकृष्ण जन्माष्टमी से दूरी बना ली।
बताते चले कुशीनगर व बिहार को बांटनें वाली गंण्डक के आस-पास जिसे दियारा कहा जाता है इस इलाके में जंगल पार्टी के बदमाशों का दबदबा था और क्षेत्र के लोग बदमाशों के खौफ में जिंदगी गुजारते थे, यहां कई बदमाशों का दबदबा चलता था, जंगल पार्टी में उन दिनों अलाउद्दीन और लोहा के साथ ही बेंचू नाम के बदमाश का बड़ा आतंक था, इनका रंगदारी वसूली, डकैती, लूट, बच्चों का अपहरण कर फिरौती वसूली, चिट्ठी भेज कर वसूली करना इस गैंग के लिए चुटकी बजाने भर का काम था।
1994 में बिहार के पश्चिमी चम्परण व उत्तर प्रदेश के कुशीनगर सहित आसपास के इलाके में रामयाशी गैंग का बोलबाला था, जिसका सरगना बेचू कुशवाहा, पुलिस रामयाशी गैंग के बदमाशों की हरकतों से पेरशान हो उठी थी ऐसे में तत्कालीन पुलिस कप्तान कमल सक्सेना ने रामयाशी गैंग के सफाये के लिए तरयासुजान थाने सहित तीन थानों की पुलिस की तीन अलग – अलग टीमें बनाई गई और श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात पुलिस की टीमें कुबेर स्थान थानाक्षेत्र में गंण्डक नदी में डोंगी नाव पर सवार होकर निकली।
इधर पुलिस नदी में डोंगी नाव पर सवार थी तो नदी के दूसरी तरफ रामयाशी गैंग, फिर क्या था, दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई, इस दौरान डोंगी नदी में पलट गई और अंधेरी रात में गंण्डक की लहरों में पुलिस की एक टीम में 6 जवानों की जिंदगियों समा गई, जिसमें कुबेरस्थान थाना के पचरुखिया में एसजो अनिल कुमार पांडेय, एसआई राजेंद्र यादव, कांस्टेबल नागेंद्र पांडेय, कांस्टेबल खेदन सिंह, कांस्टेबल विश्वनाथ यादव व परशुराम गुप्ता शहीद हो गये थे।
उस समय तो बेचू बच गया लेकिन कुछ दिनों बाद पुलिस ने बेचू को मार गिराया, श्रीकृष्ण जन्माष्टमी की रात अपने साथियों के मारे जाने के गम में 28 वर्षाे से कुशीनगर जिले की पुलिस जन्माष्टमी में किसी तरह का कोई आयोजन नहीं करती है और न ही इसे मनाती है।