December 22, 2025
पवन दुबे ने ’सेवा, सेवादारों की’ कार्यक्रम से सेवा भाव का अनुपम उदाहरण किया प्रस्तुत

खड्डा-कुशीनगर। खड्डा तहसील अंतर्गत नौरंगिया ग्रामसभा में समाजसेवी एवं शिक्षाविद् पवन दुबे ने ’सेवा, सेवादारों की’ कार्यक्रम से सेवा भाव का अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। पवन दूबे अपने अनूठे सेवा कार्यों के कारण इन दिनों न केवल क्षेत्र, बल्कि पूरे जनपद में चर्चा का विषय बने हुए हैं। समाज के उन वर्गों को सम्मान दिलाने की दिशा में, जो हमेशा रोशनी से दूर रह जाते हैं, उन्होंने एक ऐसी पहल की है जिसे लोग सेवा भाव की नई परिभाषा के रूप में देख रहे हैं। उनका यह प्रयास यह साबित करता है कि सच्ची सेवा वही है, जिसमें समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को भी सम्मान और पहचान मिले।

पवन दुबे ने ’सेवा, सेवादारों की’ कार्यक्रम से सेवा भाव का अनुपम उदाहरण किया प्रस्तुत

सरस्वती देवी महाविद्यालय नौरंगिया के परिसर में रविवार को एक विशेष “सेवा सेवादार सम्मान कार्यक्रम” का भव्य आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम उन सेवादारों को समर्पित रहा, जो शादी-विवाह, तिलक, बहुभोज एवं अन्य मांगलिक आयोजनों में पर्दे के पीछे रहकर अपनी सेवाएं देते हैं, लेकिन जिनका योगदान अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। कार्यक्रम में क्षेत्र के विभिन्न आयोजनों में सेवा देने वाले टेंट कर्मी, लाइट मिस्त्री, बैंड-बाजे से जुड़े कलाकार, रसोई कर्मचारी, बर्तन धोने वाले, सजावट एवं व्यवस्था संभालने वाले सैकड़ों सेवादारों को अतिथि के रूप में आमंत्रित कर सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जनसेवक पवन दुबे ने भावुक शब्दों में कहा कि जब हम किसी मांगलिक कार्यक्रम में जाते हैं तो हमारी आंखें रोशनी से जगमगाते लॉन, भव्य सजावट और स्वादिष्ट व्यंजनों पर टिक जाती हैं, लेकिन उन चेहरों को हम देख नहीं पाते, जो इस चमक-दमक के लिए दिन-रात पसीना बहाते हैं।
उन्होंने कहा, “हमें मिठाई का डिब्बा याद रहता है, उसमें कौन-सी मिठाई और नमकीन थी यह भी याद रहता है, लेकिन वह सेवादार याद नहीं रहता जो चुपचाप डिब्बा हमारे सामने रखकर आगे बढ़ जाता है।”
पवन दुबे ने आगे कहा कि भोजन का स्वाद लेते समय हमें खाना याद रहता है, लेकिन यह याद नहीं रहता कि पर्दे के पीछे कोई आलू छील रहा है, कोई सब्जी काट रहा है, कोई घंटों हंडियों में पलटा चला रहा है और कोई देर रात तक बर्तन धो रहा है। इसी तरह बैंड-बाजे के पीछे सिर पर भारी लाइट ढोने वाले मजदूरों के चेहरे हमारी स्मृति में नहीं रहते, बल्कि हमें केवल सुंदर डिजाइन वाली लाइटें याद रहती हैं।

उन्होंने कहा कि ये सभी सेवादार बिना किसी अपेक्षा के अपना कार्य पूरा कर चुपचाप अगले आयोजन की ओर निकल जाते हैं, ताकि फिर किसी और के कार्यक्रम को सफल बना सकें। इसी भावना से प्रेरित होकर उनके मन में विचार आया कि क्यों न साल में कम से कम एक दिन इन सभी सेवादारों को सम्मानित किया जाए।
इसी सोच को साकार करते हुए इस कार्यक्रम में सेवादारों को अतिथि बनाकर आमंत्रित किया गया और स्वयं आयोजकों तथा सरस्वती ग्रुप के कर्मचारियों ने टेंट लगाने, कुर्सियां सजाने, भोजन बनाने और बर्तन धोने जैसे कार्य किए।
पवन दुबे ने कहा कि इस आयोजन का उद्देश्य केवल सम्मान करना नहीं, बल्कि समाज को यह संदेश देना है कि हर बड़ा आयोजन उन छोटे-छोटे हाथों की मेहनत से ही सफल होता है, जिन्हें हम अक्सर देख नहीं पाते। “पर्दे के पीछे के इन नायकों को पर्दे के सामने लाना और उन्हें सम्मान देना हम सभी का सामाजिक दायित्व है,” उन्होंने कहा।

कार्यक्रम के दौरान सेवादारों को अंगवस्त्र, स्मृति चिह्न एवं सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। सम्मान पाकर सेवादारों के चेहरे पर खुशी और आत्मसम्मान की झलक साफ दिखाई दी। कई सेवादारों ने मंच से अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि यह उनके जीवन का पहला अवसर है, जब किसी आयोजन में उन्हें श्रमिक नहीं, बल्कि अतिथि के रूप में बैठने और सम्मान पाने का अवसर मिला।
इस अवसर पर क्षेत्र के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे। उपस्थित लोगों ने इस पहल की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए कहा कि पवन दुबे का यह प्रयास समाज में सकारात्मक सोच को बढ़ावा देने वाला है और आने वाले समय में यह दूसरों के लिए भी प्रेरणा बनेगा।

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