मुम्बई। मामला है महाराष्ट्र में इस वक्त काफी चर्चों में चल रही दुर्गाशक्ति सामाजिक संस्थान के अनोखे रूप से रक्षाबंधन का महापर्व मनाने का,
आपको बताते चलें कि, दुर्गाशक्ति सामाजिक संस्थान के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री. पं. पंकज शर्मा (कृष्णा जी) अपने संस्थान द्वारा हर बार नए नए तरीके से गरीबों की सेवा व समाजहित का संदेश देने के लिए प्रख्यात हैं।
इस बार रक्षाबंधन के शुभावसर पर दुर्गाशक्ति की समस्त टीम, राष्ट्रीय आई.टी प्रमुख कु. प्रियांशी द्विवेदी जी के नेतृत्व में रक्षाबंधन के ठीक एक दिन पुर्व समाज में रह रहीं ऐसी 150 से अधिक महिलाओं को रक्षाबंधन के एक दिन पहले नए कपड़े वितरण किये गए, और यह कपड़े उन महिलाओं व बच्चों को दिए गए, जो स्टेशनों, हाइवे के सिग्नलों व किसी फुटपाथ अथवा ब्रिज के नीचे गुलदस्ते, फूल, तथा टिशू पेपर्स बेच कर अपने रोजमर्रा की जिंदगी जीते हैं, ऐसे निराधार महिलाओं व बच्चों को संस्थान की ओर से नए कपड़े दिए गए।
सहयोगीता के मुख्य तौर पर उपस्तिथ अर्जुन गुप्ता, शिवांचल तिवारी आदि मौजूद रहे, अतः उसी दिन अर्जुन जी का जन्मदिवस भी होने के पश्चात कुछ अत्याधिक जरूरतमंद परिवारों को अर्जुन जी के द्वारा एक एक महीने का पूरा राशन भी वितरण करने जैसा शुभकार्य अर्जुन जी के हाथों सफल हुआ।
इस शुभावसर पर जब प्रियांशी जी द्वारा इस कार्यक्रम का उद्देश्य जानने की कोशिश की गई तो, उन्होंने यह कहते हुए स्पष्ट कर दिया कि, श्यह तो मात्र एक शुरुआत है हम ऐसे और भी बहुत से पुण्यकर्मी कार्यों को समस्त भारत के कोने कोने तक पहुंच कर करने वाले हैं, और रही बात रक्षाबंधन में वस्त्र वितरण की तो, क्या वह निराधार लोग इंसान नहीं है ? क्या उनके त्योहार नहीं होते हैं ? क्या उन्हें खुशियों का हक नहीं है ? क्या उनकी जिंदगी कोई जिंदगी नहीं है ? जब इन सभी का हक उन्हें इस आजाद भारत में है तो फिर क्यों हमारा समाज ऊनसे दूरियां बना कर चलता है ऐसे कई सवालों के साथ दुर्गाशक्ति की आईटी प्रमुख प्रियांशी द्विवेदी जी ने सवालों का जवाब दिया, तथा दुर्गाशक्ति बेस टीम के राष्ट्रीय सलाहकार श्री. अर्जुन गुप्ता जी द्वारा स्पष्टीकरण देते हुए कहा गया कि, इस कार्यक्रम को करने का उद्देश्य मात्र इतना था कि, गरीबों को खुशियां मिलें, वे भी रक्षाबंधन का पर्व खुशियों के साथ मना सके, तथा मध्यमवर्गीय परिवारों व गरीबी रेखा के निचले स्तर पर अपना जीवन व्यापन कर रहे निराधार परिवारों के बीच की बढ़ती जा रही दूरियों व द्वेषपूर्ण भावनाओं को कम करना हमारा मुख्य उद्देश्य था।