महराजगंज। फरेंदा रोड स्थित कोतवाली के पास स्थित रामजानकी मंदिर व हरसिद्वि मंदिर परिसर में भव्य श्री नवग्रह शनि मंदिर बनकर तैयार हो गया है। 10 फरवरी दिन शनिवार को इस मंदिर में श्री नवग्रह शनि जी की प्राण प्रतिष्ठा की जाएगी। इसे लेकर मंदिर समिति द्वारा तैयारियां तेज हो गई है। 11 फरवरी दिन रविवार को विशाल भंडारा का भी आयोजन किया जाएगा। इस मौके पर भारी संख्या में भक्त पहुंचकर प्रसाद ग्रहण करेंगे।
मंदिर समिति के मनोज चतुर्वेदी ने बताया कि श्री शनि मंदिर की रंगरोदन का कार्य अंतिम दौर में है। मंदिर को भव्य और आकर्षक रंग रूप से सजाया जा रहा है।
श्री शनिदेव मंदिर के पुरोहित आचार्य दयाशंकर शुक्ल ने बुधवार को कथा की रसपान कराते हुए कहा कि शनिदेव साक्षात रूद्र है। उनकी शरीर क्रांति इन्द्रनील मंणि के सामान है। शनि भगवान के शीश पर स्वर्ण मुकुट, गले में माला और शरीर पर नीले रंग के वस्त्र सुशोभित है। शनिदेव गिद्व पर सवार रहते हैं। हाथों में धनुष, वाण, त्रिशुल और वरमुद्रा धारण करते हैं। ब्रहमपुराण के अनुसार बाल्यकाल से ही शनिदेव भगवान श्री कृष्ण के अनन्य भक्त थे। वे भगवान श्री कृष्ण के अनुराग में निमग्न रहा करते थे।
आचार्य श्री शुक्ल ने कहा कि शनिवार को शनिदेव की पूजा अचूक मानी गई है। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार की व्रत कथा का विशेष महत्व है। मान्यता है कि इनके प्रताप से शनि की महादशा में भी राहत मिलती है। शनिदेव नव ग्रहों में सबसे उग्र स्वभाव का ग्रह माना गया है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में शनि भारी हो तो जीवन में उथल-पुथल मच जाता है। लेकिन शनिदेव जिस पर प्रसन्न हो जाएं उनके भाग्य खुल जाता है।
उन्होंने कहा कि शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन व्रत रखना शुभ माना गया है। जो लोग शनिवार का व्रत करते हैं, उनको पूजा के समय शनिवार व्रत कथा का श्रवण करना चाहिए। शनिवार की व्रत कथा से पाठन से शनि दोष और साढेसाती-ढैयया का प्रभाव कम होता है। कथा के दौरान भारी संख्या में लोग मौजूद रहे।