सिसवा बाजार-महराजगंज। स्थानीय नगर के कोठीभार नवनिर्मित सिल्वर फीनिक्स मैरेज हाल में श्रीमद भागवत महापुराण कथा के आज पांचवें दिन कथा सुनाते हुए साध्वी किशोरी प्रिया जी ने भगवान श्री कृष्ण की बाल लीला,पूतना वध,गोपियों द्वारा भगवान श्री कृष्ण को रस्सियों से बांधना, श्रीकृष्ण के बाल रूप का दर्शन करने सभी देवताओ का आना, भगवान कृष्ण द्वारा मां यशोदा को ब्रह्मांड का दर्शन कराना।
उन्होंने यमला अर्जुन की कथा, कालिया नाग की कथा,बृजवासियों द्वारा भगवान इंद्र से बारिश की लिए पूजा,गोवर्धन पूजा की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण के जन्म की बात सुन कर कंश ने अपनी बहन पूतना को श्रीकृष्ण को मारने को भेजा लेकिन पूतना का वध होने के बाद कंस ने तृणावर्त को भेजा।भगवान श्रीकृष्ण की लीला बहुत ही अद्भुत है जिनका घर दूध मखन से भरा था लेकिन गोपियों के वहा माखन चुराते है क्योंकि मन ही मन गोपियां श्रीकृष्ण के अदभुत बाल स्वरूप के बार बार दर्शन के लिए लालायित रहती है। व्रजवासी मन ही मन श्रीकृष्ण पर इतना मोहित हो गए थे कि श्री कृष्ण के दर्शन पाने के लिए किसी न किसी शिकायत को लेकर मां यशोदा के पास जाते और श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप को देख कर मंद मंद मुस्कुराते।
कथा में आगे बढ़ते हुए साध्वी जी ने बताया कि परिवार में जब प्रेम होता है तो घर में ईश्वर का वास होता है। आज कल परिवार में प्रेम और आत्मीयता कम हो रहा है। लोगो को लगता है कि छोटे परिवार में ही वो ज्यादा स्वतंत्र और खुश रह सकते है लेकिन यह लोगो का भ्रम मात्र है।बच्चे जब परिवार में रहेंगे नहीं अपने पराए को जानेंगे नहीं तो उनका बचपन परिवार के बिना अधूरा रहेगा।भाई भाई में भाईचारा बनाए तो दुनिया की कोई ताकत उसे हरा नहीं सकती।इंसान संघर्ष से बहुत जल्दी घबरा जाता है और ईश्वर पर ही कष्ट देने का आरोप जाने अनजाने में लगा के पाप का भागी होता है। इंसान भूल जाता है कि आज जो कुछ भी उसके पास है वो उसके इस जन्म और पूर्व जन्म का फल है। जप नाम करने से ही हमें ईश्वर की करुणा और कृपा मिलेगी। संघर्ष तो सभी जीवों को करना पड़ता है। संघर्ष तो भगवान श्री कृष्ण और भगवान श्रीराम ने भी किया अगर श्री राम कष्ट से घबरा जाते तो वो अयोध्या के राजा तो बन जाते लेकिन कभी भगवान राम नहीं बन पाते। इसी लिए जो भी संघर्ष जीवन में आए उससे घबराए नहीं बल्कि यह समय बीत जाएगा यह सोच कर ईश्वर की भक्ति में लीन हो के सद कर्म करते रहे। हनुमान जी ने केवल श्रीराम के जप और भक्ति से अष्ट सिद्धिया और नव निधियों को पा लिया तो हम अपने भक्ति के भाव को बढ़ाए और श्री हरि की चरण कमल पर पूरा भरोसा करे। कण कण में भगवान बिराजते है जब हिरण्यकश्यप ने भक्त प्रहलाद से पूछा कि बता तेरा ईश्वर कहा है अगर है तो सामने आए,क्या खंभे में भी भगवान है और अंहकार में चूर हो कर उस खंभे को तोड़ा और उस खंभे से नरसिंह भगवान निकले और हिरणाकश्यप का अंत किया। इस जग में सब सुख के साथी है कोई दुख का साथी नहीं है लेकिन श्री हरि भगवान सुख और दुख दोनों के साथी है।
इस कथा में यजमान प्रमोद जायसवाल,सुशीला देवी,सुरेश रुंगटा,अशोक जायसवाल,बाबू लाल अग्रवाल,प्रमोद मद्धेशिया,राजू जायसवाल, नमित भालोटिया, लक्षमण तुलस्यान सहित अन्य भक्त उपस्थित रहे ।