Gorakhpur – One day mental health sensitization workshop organized in St. Andrews College
Gorakhpur। राष्ट्रीय सेवा योजना, सेण्ट ऐण्ड्रयूज कॉलेज, गोरखपुर तथा सिफ्सा के संयुक्त तत्वाधान में 20वीं तथा इस सत्र की छठवीं एक दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य संवेदीकरण कार्यशाला का आयोजन शुक्रवार को किया गया। कार्यक्रम में मुख्य ट्रेनर के रूप में पधारे जिला चिकित्सालय, गोरखपुर के नैदानिक मनोवैज्ञानिक (क्लिनिकल सायकोलाजिस्ट) रमेन्द्र कुमार त्रिपाठी ने कहा कि ‘छोटी सी मानसिक समस्या आपके पूरे जीवन को अंधकारमय कर सकती है।
उन्होने मानसिक स्वास्थ्य से सम्बंधित चिंता, उलझन, अवसाद, औबसेविव कम्पलसिव डिसआर्डर (ओ0सी0डी0), स्किजोफ्रेनिआ, माइग्रेन आदि मनोविकारो के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला। सिजोफ्रेनिया रोग के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा की सिजोफ्रेनिया एक ऐसा रोग है जो मनुष्य के विचार, अनुभूति एवं व्यवहार पर गंभीर असर करता है। मरीज को इलाज के साथ-साथ आपकी सहायता, सहानुभूति और समझदारी की भी जरूरत है। इसमें मरीज के लिए वास्तविक एवं काल्पनिक अनुभव में फर्क करना कठिन हो जाता है। काल्पनिक विचारों की आंतरिक जिंदगी में जीता है एवं बाहरी दुनिया से अलग-थलग रहता है।
ट्रेनर तथा भूगोल विभाग की डॉ0 सुनीता पॉटर ने प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए कहा कि आज हम सभी मानसिक स्वास्थ्य की समस्याओं से जूझ रहे है। विद्यार्थियों के लिए इस तरह की मानसिक स्वास्थ्य कार्यशालाओं से उन्हे मानसिक विकारों के बारे में जानकारी मिल सकेगी।
श्वेता जॉनसन ने प्रारंभ में स्वागत करते हुए प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को कार्यशाला के उद्देश्य बताते हुए कहा कि यह कार्यशाला छात्र-छात्राओं को मानसिक स्वास्थ्य से परिचित कराने तथा उनके आस-पास के मानसिक स्वास्थ से ग्रसित लोगों की पहचान करने के लिए की गयी है। मानसिक स्वास्थ्य और समाज में फैली मिथक एवं गलत धारणाओं के बारे में जानकारी दी। कार्यक्रम का संचालन तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ सुनीता पाटर ने किया किया।
इस अवसर पर डॉ0 हरिकेश कुमार, सहित पीयर एजूकेटर निखिल दूबे, नारायण द्विवदी, आदित्य पाण्डेय, प्रांजल, वारिसा सिद्दीकी सहित राष्ट्रीय सेवा योजना के कुल 50 प्रतिभागियों की प्रतिभागिता रही। ज्ञात हो कि इस तरह की कुल 06 कार्यशालाएं इस सत्र में आयोजित हुई जिससे विभिन्न विभागों से कुल 300 छात्र/छात्राएं मानसिक स्वास्थ्य के प्रति सचेत हुई।