Government orders are being openly flouted in the construction of the boundary wall of Girls Primary School, Siswa II, old bricks are also being used.
सिसवा बाजार-महराजगंज। सिसवा में बेसिक शिक्षा विभाग के परियोजना के तहत 120 मीटर के बाउंड्रीवाल निर्माण में शासनादेश की धज्जियां उड़ाने का बड़ा मामला सामने आया है, मामला कन्या प्राथमिक विद्यालय सिसवा द्वितीय का है। जहां जीओ के विपरीत नियमों को ताक पर रखकर बाउंड्रीवाल निर्माण कराया जा रहा है, इतना ही नही यहां तो निर्माण में नये ईटों के साथ पुराने ईंट भी नजर आ रहे थे।
मिली जानकारी के अनुसार विभाग के अनुसार इस विद्यालय के चारों तरफ 120 मीटर का बाउंड्रीवाल व गेट निर्माण के लिए बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा परियोजना के तहत 3437 रुपया प्रति मीटर के दर से 4 लाख 42 हज़ार रुपया अवमुक्त किया गया है। बाउंड्रीवाल के निर्माण में शासनादेश के तहत अव्वल दर्जे के ईंट का प्रयोग किए जाने के साथ ही दीवाल निर्माण में मोरंग बालू व सीमेंट के मिश्रण में 1/3 का अनुपात होना चाहिए। इसके अलावा दीवाल के सफाई प्लास्टर में भी मोरंग बालू और सीमेंट के मिश्रण में भी 1/3 का अनुपात होना है, लेकिन यहां का को नज़ारा कुछ और ही है, बाउंड्रीवाल निर्माण का लगभग 70 फीसदी कार्य पूरा कर लिया गया था। दीवाल निर्माण में मौके पर अव्वल दर्जे के ईंट की जगह सेम व दोयम दर्जे के ईँट का प्रयोग किया जा रहा था। इसके अलावा निर्माण हेतु बनाए गए मसाले में 1/5 का मिश्रण मिला। इतना ही बल्कि मसाले में मोरंग बालू का प्रयोग न कर गुणवत्ताविहीन सफेद बालू का प्रयोग किया जा रहा था। पूरे निर्माण कार्य में कहीं भी मोरंग बालू का प्रयोग नहीं दिखा।
बाउंड्रीवाल का निर्माण कर रहे राजगीर मिस्त्री ने बताया कि 1/5 अनुपात के मसाले से दीवाल चलाया जा रहा है। हालांकि मौके पर मौजूद विद्यालय की इंचार्ज पूनम शर्मा ने बताया कि इसके पूर्व मोरंग बालू का प्रयोग किया जा रहा था, लेकिन आज बालू समाप्त हो जाने की वजह से सादे बालू का प्रयोग किया जा रहा है।
कुल मिलाकर यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगा कि इस बाउंड्रीवाल के निर्माण में सरकारी धन का जबरदस्त बंदरबांट किया जा रहा है। ऐसे में अगर विभाग द्वारा पूरे बाउंड्रीवाल के गुणवत्ता की जांच करा दी जाए तो दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा।
खंड शिक्षा अधिकारी विनयशील मिश्र
खंड शिक्षा अधिकारी विनयशील मिश्र ने इस बाबत कहा कि निर्माण कार्य में अनियमितता संज्ञान में नहीं है। शिकायत मिलने पर टीम गठित कर निर्माण की जांच कराई जाएगी।
सवाल खण्ड शिक्षा अधिकारी से
जैसा कि उन्होंने निर्माण कार्य मे अनियमितता पर यह कहना कि शिकायत मिलने पर जांच कराई जाएगी तो उनका कार्य क्या है, अगर कोई शिकायत नही करता तो क्या ऐसे ही अनियमितता होती रहेगी और साबह चुपचाप सबकुछ देखते हुए भी चुप्पी लगाए बैठे रहेंगे, आखिर इनका कार्य क्या है और किस लिए खण्ड शिक्षा अधिकारी बनाए गये है।
मोरंग तो हर जगह मिल रहा है
विद्यालय की इंचार्ज पूनम शर्मा का यह कहना कि इसके पूर्व मोरंग बालू का प्रयोग किया जा रहा था, लेकिन आज बालू समाप्त हो जाने की वजह से सादे बालू का प्रयोग किया जा रहा है गले से नीचे उतरने वाला नही है क्यों कि मोरंग बालू तो हर जगह दुकानों पर उपलब्ध है लेकिन सादा बालू के लिए पहले कहना होता है तब कही जा कर सादा बालू मिलता है।
आखिर पुराने ईंट कहां से आये
यहां तो दिवाल के निर्माण में नये ईंटों के साथ पुराने ईंट भी नजर आये जो दिवाल निर्माण मे ंलगाए जा रहे थे, ऐसे में सोचने वाली बात है कि यहां नये ईंटों के बीच पुराने ईंट कहां से पहुंच गये।