नई दिल्ली । आईटीआई पास करने वाले युवाओं को लेकर नीति आयोग ने बड़ा खुलासा किया है। नीति आयोग की रिपोर्ट के अनुसार देशभर के औद्यौगिक प्रशिक्षण संस्थान मानक के अनुसार नहीं हैं। आईटीआई भारत में व्यावसायिक प्रशिक्षण की रीढ़ हैं। हर साल लाखों छात्र आईटीआई में दाखिला लेते हैं, लेकिन फिर भी यह अपने उद्देश्यों को पूरा करने में विफल है। प्रशिक्षण की गुणवत्ता, फैकल्टी और बुनियादी ढांचा वैश्विक मानकों के अनुरूप नहीं है।
ट्रांसफॉर्मिंग इंडस्ट्रियल ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट्स शीर्षक से जारी रिपोर्ट में नीति आयोग ने कहा है कि आईटीआई पास करने वाले युवा न तो रोजगार योग्य हैं और न ही अपना उद्यम शुरू करने के लिए पर्याप्त कुशल हैं। कई बार आईटीआई का पुनरुद्धार करने का प्रयास किया गया। जिसमें उत्कृष्टता केंद्र बनाना, फंडिंग, आईटीआई की ग्रेडिंग और आईएमसी को अनिवार्य बनाना इत्यादि शामिल है लेकिन इसके बावजूद आईटीआई का पूरा सिस्टम सिर्फ मुश्किलों का सामना कर रहा है।
देशभर में आईटीआई में 25 लाख सीटें हैं, लेकिन मात्र 10.5 लाख सीटें ही भर रही हैं। प्लेसमेंट की दर और भी निराशाजनक है। आईटीआई की गुणवत्ता और सामाजिक स्वीकार्यता कम है। देश के आईटीआई पारिस्थितिकी तंत्र को फिर से जीवित करने के लिए नीति आयोग के स्किल डेवलपमेंट एंड एंप्लॉयमेंट वर्टिकल द्वारा अध्ययन किया गया है। इसमें कई सुझाव भी दिए गए हैं।
देशभर में मौजूद आईटीआई में 78.40 फीसदी निजी लोगों द्वारा चलाए जाते हैं। बचे हुए 21.59 फीसदी सरकारी संस्थान हैं। सरकारी संस्थानों में निजी की तुलना में ज्यादा छात्र नामांकित हैं। जबकि 62 फीसदी सीटें निजी संस्थानों में ही हैं।
देश में अभी कुल 14789 आईटीआई हैं। इनमें 66 फीसदी संस्थान उत्तर प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, बिहार मध्य प्रदेश तथा महाराष्ट्र, इन पांच राज्यों में ही हैं। इनमें 64.81 फीसदी सीटें इलेक्ट्रिशियन ट्रेड की खाली हैं। 71.57 फीसदी सीटें फीटर ट्रेड में खाली हैं।