November 22, 2024
Kushinagar Breaking: दहेज हत्या की दोषी जेठानी को आजीवन कारावास

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश के कुशीनगर में जिला एवं सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार सिंह की अदालत ने सेवरही थाना क्षेत्र के राजुपर गांव में हुई विवाहिता की हत्या के मामले में जेठानी को दोषी करार दिया है। इस आधार पर उसे आजीवन कारावास की सजा सुनायी है। इसके साथ उस पर 50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है। अर्थदंड न दे पाने पर उसके एक साल की कठोर कारावास की सजा अलग से भुगतनी होगी। अर्थदंड का आधा हिस्सा मृतका के पति को दी जाएगी।

एडीजीसी जीपी यादव ने फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि विवाहिता के पिता ने 17 अप्रैल 2017 को इस मामले की एफआईआर सेवरही थाने में दर्ज करायी थी। इसमें नेबुआ नौरंगिया थाना क्षेत्र के सेखुई बाजार निवासी हीरा मिश्रा ने बताया था कि उनकी पुत्री रीना की शादी उन्होंने यथासंभव दान दहेज देकर सेवरही थाना क्षेत्र के राजपुर बगहा निवासी सिज्जू राय पुत्र लक्षन राय से की थी। शादी के बाद से ही उसे दहेज की मांग को लेकर प्रताडि़त किया जाने लगा।

जानकारी होने पर मैं बेटी के ससुराल गया और अपनी आर्थिक स्थिति का हवाला देते हुए दहेज दे पाने में असमर्थता जतायी। कुछ दिन बाद 25 मार्च 2017 को बेटी को बुलाने गया तो ससुराल वालों ने उससे मिलने नहीं दिया और दहेज की मांग करते हुए लौटा दिया। इसके बाद 27 मार्च 2017 को दिन में 11 बजे पति सज्जू राय, ससुर लक्षन राय, सास आरती देवी, जेठानी प्रमिला देवी, जेठ सुनील राय व ननद ने उसे बांधकर शरीर पर मिट्टी का तेल उड़ेल दिया और जला दिया। इससे वह 80 फीसदी जल गयी। उसे इलाज के लिए जिला अस्पताल ले जाया गया।

वहां से मेडिकल कॉलेज रेफर हुई और वहां 12 अप्रैल को उसकी मौत हो गयी। पुलिस ने तहरीर के आधार पर सास, ससुर, पति, जेठ, जेठानी व ननद के खिलाफ केस दर्ज कर लिया। विवेचना के दौरान सास, ससुर, जेठ व पति की नामजगदी गलत पायी गयी। इस आधार पर पुलिस ने केवल जेठानी प्रमिला व ननद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।

न्यायालय में ट्रायल शुरू हुआ। अदालत ने ननद को नाबालिग पाते हुए उसका मामला पत्रावली से अलग कर किशोर न्याय बोर्ड को भेज दिया। ट्रालय के दौरान कुल दस गवाह परीक्षित हुए। पत्रावलियों पर उपलब्ध साक्ष्य को देखते हुए व विद्वान अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद अदालत ने जेठानी प्रमिला देवी को दहेज हत्या का दोषी पाया। इस आधार प्रमिला देवी को आजीवन कारावास व 50 हजार रुपये के अर्थदंड से दंडित किया गया।

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