सिसवा बाजार-महाराजगंज। सिसवा विकासखंड के ग्राम मथानिया में कुवैत गए विद्यासागर को गांव में पोखरी की खुदाई कार्य में मजदूरी दिखाकर मनरेगा योजना के तहत 14 दिन की मजदूरी मामला के खुलासे के बाद जहां अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी ने सिंदुरिया पुलिस को मामला दर्ज करने के लिए तहरीर दिया है वही पुलिस ने इस मामले में अब तक कोई कार्यवाही नही किया है, ऐसे में अब सवाल उठने लगे है कि आखिर मनरेगा के घोटालेबाजों को कौन बचा रहा है?
अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी सिसवा सौरभ चौधरी ने 12 जुलाई 2022 को सिंदुरिया थाने पर दिए तहरीर में लिखा है कि उमाशंकर प्रसाद निवासी ग्राम पंचायत मथानिया विकासखंड सिसवा द्वारा इस आशय की शिकायत किया गया था कि विद्यासागर पुत्र सीताराम जॉब कार्ड संख्या 7280 जो दिनांक 22-05-22 को घर से मुंबई के लिए और दिनांक 25-05-22 को मुंबई से कुवैत के लिए रवाना हुए थे, जिसका हाजिरी राजेन्द्र पटेल पुत्र रामनारायण के खेत में पोखरी खुदाई कार्य में दिनांक 23-05-22 से 05-06-22 तक भर कर कुल 14 दिन 2982 रूपये की मजदूरी का गलत तरीके से भुगतान किया गया है, शिकायत की अभीलेखीय परिक्षण अधोहस्ताक्षरी द्वारा किया गया, जिसमें शिकायत सही पाई गई है।
उपरोक्त जाबकार्ड धारी के बाहर होने के बावजूद मनरेगा में हाजिरी लगाकर 2982 रूपये का सरकारी धन का गलत भुगतान ग्राम प्रधान ब्रह्मानंद पटेल व रोजगार सेवक श्रीमती कुंती देवी द्वारा कराया गया है, शिकायत की प्रति इस पत्र के साथ संकलन करते हुए इस आशय से प्रेषित है कि ब्रह्मानंद पटेल ग्राम प्रधान व श्रीमती कुंती देवी ग्राम रोजगार सेवक ग्राम पंचायत मथानिया के विरूद्व प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज करते हुए आवश्यक कार्रवाई करने का कष्ट करें।
तहरीर मिलने के बाद भी सिन्दुरिया पुलिस अब तक इस मामले में कोई कार्यवाही नही किया है ऐसे मे अब सवाल उठने लगा है कि आखिर किस के दबाव में पुलिस अब तक कोई कार्यवाही नही की, जब की कार्यक्रम अधिकारी ने तहरीर में साफ लिख है कि शिकयत की जांच में मामला सही पाया गया और प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज किया जाए, इतने के बावजूद भी सिंदुरिया पुलिस कार्यवाही नही कर रही है जो सवालों के घेरे में है।
तहरीर में सचिव का नाम गायब तो पुलिस भी नही कर रही कार्यवाही
इस मामले में हर जगह बचाव का खेल चल रहा है क्यों कि एक तरह खण्ड विकास कार्यालय से सिंदुरिया पुलिस को जो तहरीर दी गयी है उसमें सचिव प्रेम सागर पटेल का नाम गायब है, मनरेगा के इस मामले में सिर्फ ग्राम प्रधान और रोजगार सेवक को ही दोषी बनाया गया है जब कि सचिव भी इस मामले में शामिल है तो तहरीर से सचिव का नाम गायब कर कौन बचाने में लगा हुआ है, तो वही सिंदुरिया पुलिस भी तहरीर मिलने के बाद अबतक कोई कार्यवाही नही की, इस तरह एक तरफ सचिव का नाम गायब कर सचिव को बचाया जा रहा है तो दूसरी तरफ पुलिस मामला ही नही दर्ज कर रही है और जांच के नाम पर खेला चल रहा है।