सिसवा बाजार-महाराजगंज। सिसवा विकासखंड के ग्राम हरपुर पकड़ी में मनरेगा कार्यों में अनियमितता को लेकर अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी की तहरीर में सचिव का नाम गायब होना पूरे क्षेत्र में चर्चा का विषय बना हुआ है कि आखिर अनियमितता में जब कोठीभार पुलिस को तहरीर दी गयी तो उसमें ग्राम प्रधान, तकनीकी सहायक और रोजगार सेवक का ही नाम था जब कि सचिव भी जिम्मेदार होते है, लेकिन उनका नाम ही गायब कर दिया गया ऐसे में पुलिस ने तहरीर के आधार पर ग्राम प्रधान, तकनीकी सहायक व रोजगार सेवक के खिलाफ फर्जीवाड़ा का मुकदमा दर्ज किया।
बताते चलें पिछले दिनों जिलाधिकारी द्वारा ग्राम हरखपुरा व ग्राम हरपुर पकड़ी गांव में विकास कार्यों का निरीक्षण किया गया, जिसके बाद दोनों गांव के सचिव को निलंबित कर दिया गया, माना जा रहा था कि आगे भी कार्रवाई होनी है जिसके बाद जिला प्रशासन ने हरपुर पकड़ी में त्रिस्तरीय टीम का गठन कर जांच करने का निर्देश दिया, जांच के दौरान प्रथम कार्य लालसा के खेत से नदी तक नाला खुदाई कार्य और दूसरा कार्य जितई के खेत से स्कूल के आगे तक नाला खुदाई एवं सफाई कार्य किया गया, जिसकी जांच की गई, इस जांच में दूसरे कार्य जितई के खेत से स्कूल के आगे तक प्राक्कलन के अनुसार कार्य की लंबाई 700 मीटर है जिसकी धनराशि 2 लाख 93 हजार 919 रूपया दर्शाया गया है जबकि जांच टीम ने मौके पर कार्य मात्र 600 मीटर पाया, इसका भुगतान ₹98882 ही होना चाहिए, जिस पर 114118 रूपये अधिक भुगतान कर दिया गया।
जांच टीम ने इसकी रिपोर्ट जिला प्रशासन को सौंपी जिस पर जिला प्रशासन ने दोषी जिम्मेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने का निर्देश दिया, इस निर्देश के क्रम में सिसवा ब्लॉक के अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी ने कोठीभार पुलिस को जो तहरीर दिया उसमें सचिव पिंटू कुमार रौनियार का नाम गायब था और तहरीर में ग्राम प्रधान, तकनीकी सहायक व रोजगार सेवक का ही नाम था ऐसे में पुलिस ने तहरीर के आधार पर अपराध संख्या 0011/2023 के तहत धारा 419 व 420 के अंतर्गत मुकदमा दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी है।
जब कि जिलाधिकारी द्वारा की गयी जांच के दिन ही सचिव पिंटू कुमार रौनियार को निलम्बित कर दिया गया था, इस के बाद अतिरिक्त कार्यक्रम अधिकारी द्वारा मंगलवार को इस मामले में कोठीभार थाना पर मामला दर्ज करने के लिए तहरीर दी गयी लेकिन तहरीर में सचिव पिंटू कुमार रौनियार का नाम ही गायब था, इस की जानकारी मिलते ही क्षेत्र में तरह-तरह की चर्चाएं शुरू हो गयी, सवाल भी उठने लगे कि ग्राम पंचायत के कार्य में सचिव की बड़ी जिम्मेदारी होती है, हर कार्यों से लेकर भुगतान तक इनके हस्ताक्षर होते है लेकिन यहां तो मामला उजागर होने के बाद पुलिस को जब तहरीर दी गयी तो सचिव का नाम ही गायब है, आखिर सचिव पर इतनी मेहरबानी क्यों ?