हावड़ा/हुगली)। बालासोर में कोरोमंडल एक्सप्रेस की दुर्घटना के बाद दुर्घटनाग्रस्त लगभग 200 यात्रियों को लेकर डाउन यशवंतपुर एक्सप्रेस लेकर हावड़ा पहुंची। ऐसे मौत के मुंह से बचकर आने वाले यात्रियों के चेहरों पर मौत का खौंफ साफ दिखा लेकिन उन लोगों का कहना था कि जीवनदान करने वाला ईश्वर सबसे बड़ा है।
डाउन यशवंतपुर एक्सप्रेस ट्रेन के डिब्बों का शीशे टूटे हुए थे, जिन यात्रियों को लेकर यह ट्रेन हावड़ा पहुंची वे सहमे हुए थे और हर किसी को कहीं न कहीं चोट लगी थी। हावड़ा स्टेशन पर चोट लगे यात्रियों के इलाज की व्यवस्था की गई थी। यात्रियों ने ट्रेन हादसे की सिहरने वाली दास्तान सुनाई.
यात्रियों का कहना है कि ईश्वर की कृपा से ही उनकी जान बची है। वह लोग दर्दनाक हादसे को याद कर सिहर जा रहे थे। वह बता नहीं पा रहे थे कि हालांकि क्या घटना घटी थी। हुगली जिले के उत्तर पाड़ा के निवासी दंपत्ति देवाशीष दत्त और बनश्री जिंदा लौटे।
उन्होंने बताया कि उक्त लोग कोरोमंडल एक्सप्रेस के पीछे के डिब्बे नंबर 20 में थे। उक्त लोगों की माने तो उनका बेटा निलिमेश चेन्नई में काम करता था। वह लोग अपने बेटे के पास जा रहे थे। देवाशीष दत्ता पूर्व रेलकर्मी हैं।
मीडिया कर्मियों से बातचीत करते हुए बनश्री दत्त ने कहा, उन्होंने जो महसूस किया वह जीवन में कभी नहीं भूल सकती। ट्रेन में शुक्रवार की रात एक बुरे सपने की रात थी। सच तो यह भी है कि मैं हैरान हूं कि मैं कैसे जिंदा हूं।