कोरोना काल मे ऑनलाइन पढ़ाई करने के लिये बच्चों को मोबाइल दिलाना अब अभिभावकों पर भारी पडऩे लगा है। बच्चों ने ऑनलाइन पढ़ाई तो की लेकिन वह ऑनलाइन गेमिंग के भी लती हो गये। अब यदि उन्हें मोबाइल से दूर किया जा रहा है तो हिंसक हो रहे है। घर मे उनकी आदत दिन भर मोबाइल से चिपके रहने की हो गयी है। बच्चे माता-पिता अथवा घर के दूसरे सदस्यों से बात करने के बजाय मोबाइल चलाना पसंद कर रहे है।
पहली कक्षा से दसवी कक्षा तक के बच्चों की मोबाइल की लत से परेशान अभिभावक की संख्या मे लगातार इजाफा हो रहा है। डॉक्टरों के पास इस तरह के मामले लगातार बढ़ रहे है। डॉक्टरों का कहना है कि कोरोना महामारी से पहले मोबाइल की लत से जुड़ा मामला एक महीनों मे कभी कभार आता था। अब हर रोज चार से पांच मामले आ रहे है। कभी कभी माता-पिता बच्चों को शांत करने के लिये मोबाइल दे देते है। खाना बनाते समय मांग बच्चों को बहलाने के लिये भी मोबाइल दे देती है। कभी बच्चे के जिद करने पर उन्हें मोबाइल देते है। इस बजह से भी बच्चों मे मोबाइल की लत बढ़ रही है। मोबाइल का उपयोग अधिक करने की बजह से बच्चे नकारात्मक सोच वाले, चिड़चिड़े, गुस्सैल और हिंसक हो रहे है।
बच्चों को मोबाइल से नहीं, खेलों की गतिविधियों से जोड़े
डाक्टरों और अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि मोबाइल की लत से दूर करने के लिये बच्चो को खेलों की गतिविधियों से जोड़े। उन्हें खेल मैदान मे भेजें। उनसे संवाद न टूटने दे। उनकी दिनभर की गतिविधियों के बारे मे जानकारी लेते रहे। बच्चों को मोबाइल के साथ अकेले न छोड़े। उनकी हर बात सुने। उनके साथ भोजन करें, बच्चों को अकेला ना छोड़े।