February 24, 2025
Rape Case: टू फिंगर टेस्ट्य को लेकर सुप्रीम कोर्ट की कड़ी नाराजगी, सुनाया बड़ा फैसला

नई दिल्ली। रेप पीड़िताओं के टू फिंगर टेस्ट पर रोक के बावजूद इस जांच को जारी रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसा करने वालों को दोषी माना जाएगा। अदालत ने इस बात पर हैरानी जताई कि साल 2013 में इस टेस्ट के उसके रोक के बावजूद इस जांच के मामले सामने आए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि टू फिंगर टेस्ट समाज की पितृसत्तात्मक मानसिकता पर आधारित है। कोर्ट ने मेडिकल कॉलेज में टू फिंगर टेस्ट से जुड़ी अध्ययन सामग्रियों को भी हटाने का आदेश दिया है।

रेप के एक मामले में अपना फैसला सुनाते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि पीड़िता के सेक्सुअल इतिहास के साक्ष्य इस केस में महत्व नहीं रखते। यह अत्यंत परेशान करने वाली बात है कि इस जांच को आज भी किया जा रहा है। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि टू फिंगर टेस्ट रेप पीड़िता को मानसिक एवं शारीरिक यातना से दोबारा गुजारता है। यह जांच अवैज्ञानिक है और आगे कोई व्यक्ति यदि इस जांच में शामिल पाया जाता है तो उसे कदाचार का दोषी माना जाएगा।यही नहीं, शीर्ष अदालत ने मेडिकल कॉलेजों में टू फिंगर टेस्ट की पढ़ाई से जुड़े अध्ययन सामग्री को हटाने का भी आदेश जारी किया है। रेप एवं मर्डर के एक मामले में आरोपी को हाई कोर्ट से मिली रिहाई के फैसले को पलटते हुए सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई। कोर्ट ने साल 2013 में इस जांच को असंवैधानिक बताते हुए इस पर रोक लगा दी।

क्या होता है टू फिंगर टेस्ट
टू फिंगर टेस्ट में रेप पीड़िता के प्राइवेट पार्ट में एक या दो उंगली डालकर उसके कौमार्य की जांच की जाती है। इस जांच का मकसद यह पता लगाना होता है कि महिला के साथ शारीरिक संबंध बने थे कि नहीं। प्राइवेट पार्ट में अगर आसानी से दोनों उंगलियां चली जाती हैं तो माना जाता है कि महिला सेक्सुअली ऐक्टिव है। हालांकि, इस जांच की वैधानिकता पर हमेशा सवाल उठते रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!