सिसवा बाजार-महराजगंज। सरकार द्वारा गरीबों के राशन वितरण प्रणाली पर किस तरह खेला हो रहा है आप भी चौक जाएंगे, इस खेल से कुछ राशन दुकानदार खुद मालामाल हो रहे है, जब कि इस खेल की जानकारी आपूर्ती विभाग के अधिकारियों को है लेकिन वह भी खेल को रोकने के लिए आगे नही आ रहे है और यह खेल हर महीने हो रहा है।
सरकार हर माह गरीब परिवार के हर सदस्य को पांच किलो कभी मुफत तो कभी दो रूपये किलो गेहूं व तीन रूपये किलो चावल के हिसाब से राशन वितरण करवा रही है, इतना ही नही गरीबों के राशन पर वितरण में कोई गड़बड़ी न हो इस लिए वितरण के दिन एक अधिकारी को नामित भी किया जाता है कि वितरण उनके देख रेख में होगी, लेकिन कहावत है कि कोई डाल-डाल तो हम पात-पात, यानी गड़बड़ी रोकने के लिए सरकार कोई भी जतन करे लेकिन करने वाले कोई ना कोई तरीका निकाल ही लेते है, इस तरह का खेल सिसवा क्षेत्र के कई गांवों खेला जा रहा है, चर्चाओं के अनुसा कुछ कोटेटार एक तो तौल के समय घटतौती करते ही है वही उपर से हर युनिट पर एक किलों की कटौती भी करते है।
लेकिन एक और खेल का तरीका है जो अब हम आपको बताते है, जो अंगूठा लगवाने व वितरण के बीच का है।
पहले अंगूठा लगवाते फिर कई दिन बाद वितरण करते राशन
सरकार के आदेशानुसार राशन लेने के लिए आने वाले परिवार से अंगूठा लगवाने के बाद उसे राशन दिया जाता है लेकिन सिसवा क्षेत्र के कई गांव के एक नये खेल को अंजाम दिया जा रहा है, हर माह राशन वितरण के समय सिर्फ अंगूठा लगवाने का कार्य किया जाता है, अंगूठा लगवाने के बाद उन्हे घर भेज दिया जात है कि जब पूर गांव का अंगूठा लग जाएगा तब राशन वितरण होगा, इस तरह पहले पूरे गांव के राशन कार्ड धारकों के परिवारों से अंगूठा लगवाया जाता है, भले ही दो से तीन दिन लग जाए, फिर राशन दुकानदार अपने हिसाब से राशन वितरण करता है और एक से दो दिन वितरण करने के बाद यह कह देता है कि राशन खत्म हो गया, अब जो अंगूठा लगा कर घर गये या बाहर चले गये और वापस आये तो पता चला राशन ही खत्म हो गया है और अगले माह मिलेगा।
अब सवाल तो यहा भी है कि जब सरकार युनिट के हिसाब से राशन देती है और अंगूठा लगा दिया तो उसका राशन कहा गया और खत्म कैसे हो गया, दो हो या चार दिन बाद वह राशन तो स्टाक में ही रहना चाहिए, लेकिन यह खेल खुब चल रहा है।
इस तरह का खेल सिसवा क्षेत्र के कई गांव में हो रहा है, ऐसा नही कि इस खेल की जानकारी आपूर्ती विभाग को नही होगी लेकिन यह खेल पिछले कई गावं मे कई माह से चल रहा है, ऐसे में जहां एक तरह गरीब परिवार अपने राशन से बंचित हो जाते है वही दूसरी तरह उनके राशन से दुकानदार मालामाल हो रहे है।