November 29, 2024
Gorakhpur- इमामे आजम अबू हनीफा का मनाया गया उर्स-ए-पाक

Gorakhpur गोरखपुर। मदीना मस्जिद रेती चौक, सब्जपोश हाउस मस्जिद जाफरा बाजार, मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर व चिश्तिया मस्जिद बक्शीपुर में आज मंगलवार को हजरत सैयदना इमामे आजम अबू हनीफा रदियल्लाहु अन्हु का उर्स-ए-पाक मनाया गया। कुरआन ख्वानी, फातिहा ख्वानी व दुआ ख्वानी की गई।

मदीना मस्जिद में मुफ्ती मेराज अहमद कादरी ने कहा कि हजरत इमामे आजम अबू हनीफा का नाम नोमान है। आप अबू हनीफा के नाम से मशहूर है। आपकी पैदाइश 80 हिजरी में इराक के कूफा शहर में हुई। आपके वालिद का नाम साबित था। आप हजरत अली की दुआ है। इल्म-ए-हदीस की मारूफ शख्सियत आमिर शाबी कूफी के मशवरे पर इल्मे कलाम, इल्मे हदीस और इल्मे फिकह की तरफ ध्यान दिया और ऐसा कमाल पैदा किया कि इल्मी व अमली दुनिया में इमामे आजम कहलाए।

Gorakhpur- इमामे आजम अबू हनीफा का मनाया गया उर्स-ए-पाक
Gorakhpur

सब्जपोश हाउस मस्जिद में हाफिज रहमत अली निजामी ने कहा कि हजरत इमामे आजम अबू हनीफा ने कुरआन-ए-करीम और हदीस के जखीरे से उम्मते मुस्लिमा को इस तरह मसाइले शरइया से वाकिफ कराया कि 1300 साल गुजर जाने के बाद भी तकरीबन 75 फीसद उम्मते मुस्लिमा उस पर चल रही है और ताकयामत चलती रहेगी। इमाम अबू हनीफा को हदीस-ए-रसूल सिर्फ दो वास्तो (सहाबी और ताबई) से मिली है। बल्कि कई हदीस इमाम अबू हनीफा ने सहाबा-ए-किराम से बराहे रास्त भी रिवायत की है।

चिश्तिया मस्जिद में मौलाना महमूद रजा कादरी ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपनी हयात में ही हजरत इमाम अबू हनीफा के बारे में बशारत दी थी। उस दौर के उलमा आपके बारे में कहते थे कि कूफा के इमाम अबू हनीफा और उनका फिकह पर हमें रश्क है। इमाम अबू हनीफा पेचीदा मसाइल को सब अहले इल्म से ज्यादा जानने वाले थे। इमाम अबू हनीफा के पास वह इल्म था जिसको अहले ईमान के दिल कबूल करते है। खलीफा-ए-वक्त ने 146 हिजरी में आपको कैद कर लिया। आपकी मक़बूलियत से खौफजदा खलीफा-ए-वक़्त ने इमाम साहब को जहर दिलवा दिया। जिस वजह से 150 हिजरी में सहाबा व बड़े-बड़े ताबेईन से रिवायत करने वाला एक अजीम मुहद्दिस व फकीह दुनिया से रुखसत हो गया।

मकतब इस्लामियात में हाफिज अशरफ रजा ने कहा कि हजरत इमाम अबू हनीफा के उस्ताद शेख हम्माद, शेख इब्राहीम नखई व शेख अल्कमा है। शेख हम्माद की सोहबत में इमाम अबू हनीफा 18 साल रहे। शेख हम्माद के इंतकाल के बाद कूफा में उनकी मसनद पर इमाम अबू हनीफा को ही बैठाया गया। गरज ये कि इमाम अबू हनीफा हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रदियल्लाहु अन्हु के इल्मी वरसा के वारिस बने। मुहद्दिसीन की एक जमात ने 8 सहाबा से इमाम अबू हनीफा का रिवायत करना साबित किया है। अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क व मिल्लत के लिए दुआ की गई। इस मौके पर अयान, हाफिज अरीब, हाफिज अब्दुल कय्यूम, फूल मुहम्मद, हाफिज सुब्हान, शहजाद, आसिफ, हाफिज अजमत अली आदि मौजूद रहे।

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