
गोरखपुर। मकतब इस्लामियात तुर्कमानपुर में आज रविवार को महिलाओं की बज्मे कनीजाने आयशा नाम से महफिल हुई। क़ुरआन-ए-पाक की तिलावत फिजा खातून ने की। हम्द व नात अनाया फातिमा, सना खान व नूर सबा ने पेश की। अध्यक्षता आसमा बेगम व नूर जहां ने की। संचालन फलक खातून ने किया। महिलाओं को शिक्षा की महत्ता व वुजू आदि का तरीका बताया गया।
मुख्य वक्ता मुफ्तिया गाजिया खानम अमजदी ने कहा कि महिलाओं में शिक्षा की अहमियत सबसे ज्यादा है। अगर घर मे महिलाएं शिक्षित होंगी तो बच्चों की परवरिश पर भी इसका सकारात्मक असर पड़ता है। महिलाएं बच्चों की प्रथम पाठशाला होती है। उसमें भी अगर महिलाओं को बेहतर दीनी शिक्षा मिले तो घर के बच्चों को भी अच्छी परवरिश मिलती है। शिक्षा तरक्की की कुंजी है। शिक्षा के बगैर कोई कौम या समाज तरक्की नहीं कर सकता।
उन्होंने मदरसा व स्कूलों का स्तर बेहतर बनाने पर जोर देते हुए कहा कि शिक्षण संस्थाओं को क्वालिटी एजुकेशन पर ध्यान देना चाहिए। लड़कियों की शिक्षा समाज और मुल्क की तरक्की के लिए जरूरी है। खुद शिक्षा हासिल करने और लड़के-लड़कियों को बगैर भेदभाव शिक्षा देने की पूरी कोशिश करें।
अदीबा फातिमा ने कहा कि मकसदे ज़िंदगी अल्लाह की बंदगी और अल्लाह व रसूल के बताये हुए अहकाम के मुताबिक अपने आपको ढ़ालना है। मुस्लिम समाज में शिक्षा की बहुत अधिक कमी है। जिसकी वजह से समस्याएं विकराल रूप ले रही हैं। इसमें सुधार के लिए समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को आगे आकर अमली काम करने की आवश्यकता है। शिक्षा की रौशनी इंसान को बुराई से रोकती और नेक बनाती है। किसी समाज या मुल्क की तरक्की और बेहतरी के लिए बच्चों की शिक्षा बेहद जरूरी है।
अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो शांति की दुआ मांगी गई। शीरीनी बांटी गई। महफिल में छात्रा खुशी नूर, हिफ्जा करीम, साजिया खातून, अंजुम आरा, मुस्कान, तमन्ना, मरियम, शिफा खातून, तैबा नूर, कुलसुम फातिमा, सानिया खातून, अफीना खातून, मरियम खातून, शबीना खातून, सबा परवीन, किताबुन्निशा, सहाबिया खातून सहित तमाम महिलाएं शामिल हुईं।