July 27, 2024
Gorakhpur News- अदब व एहतराम से मनाया गया हजरत इमदाद अली शाह का उर्स-ए-पाक

Gorakhpur News गोरखपुर। तुर्कमानपुर स्थित दरगाह पर हजरत इमदाद अली शाह रहमतुल्लाह अलैह का दो दिवसीय उर्स-ए-पाक अकीदत व एहतराम के साथ मनाया गया। जलसा-ए-मिलादुन्नबी हुआ। कुरआन-ए-पाक की तिलावत हाफिज अशरफ रजा इस्माईली ने की। हाफिज सैफ रजा इस्माईली, अफरोज कादरी व मुअज्जम ने नात-ए-पाक पेश की।

मुख्य अतिथि मुफ्ती मो. अजहर शम्सी ने कहा कि कुरआन-ए-पाक व हदीस-ए-पाक जिंदगी गुजारने का बहुत ही आला कानून है। कुरआन व हदीस के जरिए जिंदगी गुजारने का तरीका पता चलता है। कुरआन-ए-पाक में सभी लोगों के लिए रोशनी, हिदायत, हिकमत और शिफा है। यह किताब अच्छे बुरे में फर्क व तमीज करती है। यह अल्लाह की किताब है। कलाम भी है और सिफत भी। इसके एक-एक हुरूफ पढ़ने पर दस नेकियां मिलती हैं। इस किताब का तर्जुमा व मतलब भी जरूर पढ़ा जाए या आलिमों और जानकारों से मालूम किया जाए। शरीअत के खिलाफ कोई काम न करें। झूठ और गीबत से परहेज करें। अपने बच्चों को शिक्षा जरूर दिलाएं।

Gorakhpur News- अदब व एहतराम से मनाया गया हजरत इमदाद अली शाह का उर्स-ए-पाक

Gorakhpur News- Urs-e-Pak of Hazrat Imdad Ali Shah was celebrated with respect and honor.

विशिष्ट अतिथि कारी फिरोज आलम ने कहा कि मुसलमानों को दोनों आलम की कामयाबी हासिल करनी है तो कुरआन और हदीस पर पूरी तरह अमल करें। आख़िरत की तैयारी करें। नमाजों को उनके वक्तों पर अदा करने की पाबंदी करें। कुरआन-ए-पाक का हक़ यह है कि उसकी तिलावत की जाए, उसको समझा जाए, उस पर अमल किया जाए, उसके पैगाम को तमाम इंसानियत तक पहुंचाया जाए।

Gorakhpur News- अदब व एहतराम से मनाया गया हजरत इमदाद अली शाह का उर्स-ए-पाक

विशिष्ट अतिथि मौलाना दानिश रजा अशरफी ने कहा कि पैगंबरे इस्लाम हजरत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैहि वसल्लम ने अमन, शांति, मोहब्बत और इत्तेहाद का पैगाम दिया। मुसलमान बुरे कामों से बचें। नमाज, रोजा, हज और जकात अदा करें। मुसलमानों को चाहिए कि पैगंबरे इस्लाम की शिक्षाओं पर पूरी तरह से अमल करें। औलिया किराम ने पूरी जिंदगी कुरआन व हदीस पर गुजार कर अपनी दुनिया व आख़िरत दोनों कामयाब बना ली। हमें भी उनके नक्शेकदम पर चलना होगा।

Gorakhpur News- अदब व एहतराम से मनाया गया हजरत इमदाद अली शाह का उर्स-ए-पाक

अंत में सलातो सलाम पढ़कर मुल्क में अमनो अमान की दुआ मांगी गई। मजार की चादरपोशी हुई। कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। अकीदतमंदों में लंगर बांटा गया। उर्स में हाजी जलालुद्दीन कादरी, मो. इस्लाम उर्फ बाबूल, मो. अबरार, मनोव्वर अहमद, आकिब अंसारी, अरशद हुसैन खां, रेयाज अहमद राईनी, समीर अहमद, मेराज अहमद, अलाउद्दीन निजामी, नईम अहमद, इम्तियाज अहमद, मकसूद अली, अब्दुल्लाह, अयान अहमद, नुरुल होदा आदि मौजूद रहे।

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