July 27, 2024
बेटा देश को दे दिया था, मैं नहीं रोऊंगी, बोली शहीद मेजर आशीष धौनेक की मां

I had given my son to the country, I will not cry, said the mother of martyr Major Ashish Dhaunek.

पानीपत। मेरा बेटा तो देश का था। हमने उसे देश के लिए दिया था। गम तो बहुत है, पर मैं रोऊंगी नहीं। ये शब्द जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में आतंकियों से लोहा लेते हुए वीरगति को प्राप्त हुए मेजर आशीष धौनेक की मांकमला देवी के हैं। नम आंखों और रुंधे गले से वह कहती हैं कि मेरा बेटे की कोई तीन ही बहन नहीं थीं। देश की तमाम बहनें उसकी थीं और सभी की रक्षा के लिए उसने शहादत दी है। शहीद की मां ने कहा मैंने एक शेर बेटे को जन्म दिया था। मेरा बेटा देश के लिए शहीद हो गया। मैं अपने बेटे को सैल्यूट करूंगी। बेटे का स्वागत करुंगी। उसे अपनी झोली में लूंगी, मैं रोऊंगी नहीं। मेजर आशीष की शहादत का पता चलते ही पूरे हरियाणा में शोक पसरा हुआ है।

पानीपत के अलावा आसपास के लोग भी उनके घर के बाहर डटे रहे और शव का इंतजार कर रहे हैं। हालांकि प्रशासन का कहना है कि अब उनका शव शुक्रवार को घर पहुंचेगा। मेजर आशीष धनोक के चाचा ने बताया कि आखिरी बार आशीष से फोन पर ही बात हुई थी। तब उन्होंने कहा था कि अक्तूबर में मैं आऊंगा और तब घर शिफ्ट किया जाएगा, लेकिन अब इस मकान में उनका शव ही आएगा। परिवार का प्लान था कि 23 अक्तूबर को गृह प्रवेश का आयोजन किया जाएगा। इसकी वजह यह थी कि उसी दिन मेजर आशीष का जन्मदिन भी होता है। 34 साल के आशीष की एक चार साल की बेटी है। वह अपने पीछे माता, पिता, पत्नी और बेटी को छोड़ गए हैं। वह मार्च में अपने साले की शादी में शामिल होने को आए थे।

शहीद हुए कर्नल मनप्रीत सिंह की मां का छलका दर्द
मेरे बेटा शहीद हो गया, मेरा कर्नल मनप्रीत शहीद हो गया, मेरे दिल दा टुकड़ा शहीद हो गया, इतना कहते ही अनंतनाग में शहीद हुए सेना के कर्नल मनप्रीत सिंह की मां रो पड़ी। उन्होंने बताया कि रविवार को मेरी उससे दोपहर तीन बजे बात हुई थी। उसने बताया था कि मैं सो कर उठा हूं, आप भी आराम कर लो। उसके बच्चे भी यहां आए हुए थे वे भी रविवार को ही गए। उसने अगले महीने छुट्टी पर आना है। उसकी ट्रांसफर मई-जून को होनी थी। उसे चार साल हो गए थे श्रीनगर में आतंकवादियों से लोहा लेते हुए। आठ-आठ दिन तक हमारी बात नहीं होती थी। वह छुट्टी भी नहीं आता था। उसे बहुत काम था। उसने कहा था मेरे सिर पर बड़ा काम था। अभी तो उसकी उम्र भी 40 साल थी। उसके बच्चे भी छोटे हैं। उसके पिता भी सेना में थे।

भड़ोजिया में छाया मातम, गांव में नहीं जले चूल्हे
मोहाली के मुल्लांपुर के साथ लगते गांव भड़ोंजिया के कर्नल मनप्रीत सिंह के गांव में मातम छाया हुआ है। मनप्रीत सिंह के शहीद होने के समाचार के बाद से न्यू चंडीगढ़ के गांव भड़ोंजिया में मातम पसरा हुआ है। गांव में कल रात से चूल्हे नहीं जले हैं। भाई संदीप सिंह ने बताया कि कर्नल मनप्रीत सिंह की पत्नी जगमीत कौर टीचर हैं और उनका सात साल का बेटा और 3 साल की बेटी है। गांव के लोगों का कहना है कि उनके लाडले के शहीद होने से दुख तो है, पर गर्व है कि उन्होंने देश के लिए अपनी जान न्यौछावर की है।

डीएसपी हुमायूं भट्ट हुमहामा में सुपुर्द-ए-खाक
जम्मू-कश्मीर के कोकरनाग में शहीद हुए जांबाज डीएसपी हुमायूं भट्ट का पार्थिव शव बडगाम के हुमहामा में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। अपने जांबाज अफसर को अंतिम विदाई देने हजारों लोग पहुंचे थे, यहां जब पुलिस लाइन में शहीद बेटे को श्रद्धांजलि देने डीएसपी के पिता पहुंचे, तो बेटे के पार्थिव शरीर तक दस कदम चलना उनके लिए कितना मुश्किल रहा होगा, समझा जा सकता है। शहीद डीएसपी हुमायूं भट्ट की फैमिली में उनकी पत्नी और दो महीने की बेटी है। उनकी शादी बीते साल हुई थी। उनके पिता गुलाम हसन भट्ट पूर्व डीआईजी हैं। हुमायूं की पत्नी प्रोफेसर हैं।

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