![Maharajganj- किसान के बेटे को शोध करने के लिए मिला फ्रांस का रमन-चारपाक फैलोशिप](https://upabtak.com/wp-content/uploads/2024/01/WhatsApp-Image-2024-01-31-at-3.39.51-PM.jpeg)
Maharajganj- Farmer’s son gets France’s Raman-Charpak Fellowship for research
Maharajganj। सिसवा नगर पालिका अन्तर्गत कोठीभार निवासी,राजकुमार मद्देशिया पेशे से किसान है, उनके पुत्र इलाहाबाद विश्वविद्यालय के भौतिक विज्ञान विभाग के शोधार्थी अजीत कुमार मद्धेशिया को इंडो-फ़्रेंच कार्यक्रम के अंतर्गत रमन-चारपाक फ़ेलोशिप के लिए चयनित किया गया है, वह फ्रांस के जार्जिया इंस्टीट्यूट ऑफ़ टेक्नोलॉजी में नोबेल त्रिधात्विक नैनो पार्टिकल के औद्योगिक अनुप्रयोग पर पर शोध करेंगें।
अजीत कुमार मद्धेशिया इलाहाबाद विश्वविद्यालय के पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. पी. एस. यादव और पूर्वान्चल विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति के मार्गदर्शन में शोध कार्य कर रहे है द्य वह अपनी हाई स्कूल और इन्टरमिडिएट की परीक्षा चोखराज तुल्स्यान सरस्वतीं विद्या मंदिर से 2012 में उत्रीण किया, उसके बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय से बी.एस.सी., एम.एस.सी. (भौतिकी), पीएचडी (भौतिकी) तथा फ्रेंच लैंग्वेज में डिप्लोमा किया है।
रमन-चारपाक फ़ेलोशिप कार्यक्रम भौतिकी में दो नोबेल पुरस्कार विजेताओं, प्रोफेसर सीवी रमन, भारतीय नोबेल पुरस्कार विजेता (1930) और प्रोफेसर जॉर्जेस चारपाक, फ्रांसीसी नोबेल पुरस्कार विजेता (1992) के सम्मान में है। फेलोशिप फरवरी, 2013 में फ्रांस के राष्ट्रपति की भारत की राजकीय यात्रा के दौरान शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य विज्ञान में भविष्य की गतिविधियों के दायरे और गहराई को व्यापक बनाने के लिए दोनों देशों के बीच डॉक्टरेट छात्रों के आदान-प्रदान को सुविधाजनक बनाना है।
इंडो फ्रेंच सेंटर फॉर प्रमोशन ऑफ एडवांस्ड रिसर्च द्वारा कार्यान्वित इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय और फ्रांसीसी छात्रों को विश्वविद्यालय/अनुसंधान एवं विकास संस्थान में अपने शोध कार्य का एक हिस्सा पूरा करने का अवसर प्रदान करके उनके डॉक्टरेट कौशल में सुधार करना है। क्रमशः फ़्रांस या भारत में स्थित। यह कार्यक्रम अब फ्रेंच मास्टर छात्रों के लिए भी खुला है, जो अपने पाठ्यक्रम के अनुसार भारत में कुछ समय बिताना चाहते हैं। इसका उद्देश्य फ्रांसीसी छात्रों को भारत स्थित विश्वविद्यालय/अनुसंधान संस्थान में इंटर्नशिप कार्य करने का अवसर प्रदान करके उनके परास्नातक कौशल में सुधार करना है।